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रामायण छन्दै
महावीर निर्वाण-महोत्सव, दो हजार इकतीस सुखेन । देहली रेली बड़ी नवेली, एक मंच पर सारा जैन। दी श्रद्धांजलियां रंगरलियां, भक्ति भाव भृत वरणांमै। सेवाभावी 'चम्पक' 'साधक-शतक' धरै श्रीचरणां मै ॥१०६।।
साधक-शतक ११७
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