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________________ आधि : व्याधि : समाधि ३०५ सहज प्रश्न ऐसा लगता है-यह अतिशयोक्ति है। जिनवचन बुढ़ापे का हरण कैसे करेगा ? यदि ऐसा होता तो जिनवचन का अखंड पाठ कर सारे बूढ़े जवान बन जाते। यदि मरण का हरण हो सके तो शायद जो लोग मरने के निकट हैं, वे जरूर अखण्ड पाठ शुरू कर देंगे कि अब तो मरेंगे नहीं, अमरता का पट्टा हमें मिल गया । जिनवचन से यदि बीमारी समाप्त होती तो सारे दवाखाने बन्द हो जाते, वहां जिनवचन का अखण्ड पाठ चलने लगता । क्या यह अतिशयोक्ति नहीं है ? क्या लिखने वालों ने कोई ऐसी बात नहीं लिख दी, जो अस्वाभाविक है ? ऐसा सहज ही एक प्रश्न उभरता है किन्तु हम थोड़ा गहराई में जाएं तो यह बात सत्य प्रतीत होगी। मेरे मन में यह प्रश्न बहुत बार उठता था कि योग के ग्रन्थों में जहां कहीं भी देखो, लिखा मिलता है-यह प्रयोग करो, अजर-अमर हो जाओगे। 'अजरामरो भविष्यति'-यह लिखने वाले भी गए, स्वयं बूढ़े होकर मर गये, कैसे उनकी बात को सच माने ? शब्दों में बड़ा विरोधाभास लगता है किन्तु हृदय तक पहुंचने का प्रयत्न करें तो बहुत सार भी उपलब्ध हो जाता अजर और अमर होगा-इसका तात्पर्य यह नहीं है कि व्यक्ति कभी बूढ़ा नहीं होगा, व्यक्ति कभी नहीं मरेगा। इसका मतलब यह है कि बुढ़ापे को भी हर्ष के साथ स्वीकार कर लेगा और बुढ़ापे के जो दुःख होते हैं, वे दुःख नहीं होंगे । मृत्यु को भी हर्ष के साथ स्वीकार करेगा और मरण का भय नहीं सताएगा बल्कि सुख पहुंचाएगा। बुढ़ापा भी सुखद होगा, मरण भी सुखद होगा। बुढ़ापा : कारण यह निश्चित है-ज्यादा बूढ़ा वह बनता है, जो हर क्षण तनाव से भरा रहता है। आज मनोवैज्ञानिक इस बात को मानते हैं कि बुढ़ापा तनाव के कारण शीघ्र आता है । जिस व्यक्ति में मानसिक तनाव जितना अधिक होता है उतना ही अधिक जल्दी वह बूढ़ा बनता है, बुढ़ापे से प्रभावित होता है। बूढ़े होने का लक्षण क्या है ? बुढ़ापे के कुछ शारीरिक लक्षण होते हैं, जैसे-दांत गिर जाना, बाल सफेद हो जाना, कुछ मानसिक लक्षण होते हैं, जैसे-निराश हो जाना, श्रवण-शक्ति कम हो जाना । पुरानी बातें याद करना, उससे दुःख या सुख का अनुभव करना। एक समय हम ऐसा करते थे, हमारे समय में ऐसा होता था, अतीत को स्मरण करना और उस पर सिर धुनना, बातें याद करते जाना, स्मृतियों का चक्का चलते रहना, किन्हीं स्मृतियों के आधार पर आदमी हंसता रहे और किन्हीं स्मृतियों के आधार पर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003056
Book TitleChitt aur Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages374
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size16 MB
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