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चित्त और मन वर्तमान समस्या
____ आज का आदमी खाली रहता ही नहीं। सोता भी है तो समस्याओं को लेकर सोता है, सपनों के साथ सोता है। कुछ लोग तो शायद नींद से उठते हैं तो भी सपनों के साथ उठते हैं । इतने सपने, इतनी कल्पनाएं, इतना भय सिरहाने लेकर सोते हैं कि जागने पर भी उनसे मुक्त नहीं हो पाते । सोते हैं तब भी भय को सिरहाने लेकर सोते हैं और जागते हैं तो सबसे पहले दर्शन उसी भय का होता है। मंगल प्रभात में, मंगल बेला में जो मंगलमय देवता सामने आता है, वह भय और चिन्ता का ही आता है । हार्ट ट्रबल क्यों नहीं होगा हृदय का आघात क्यों नहीं होगा ? चिकित्सा पद्धति
आज चिकित्सा की पद्धति भी यह चाहती है-बीमारी का चक्रव्यूह टूटे नहीं, खडित न हो । एक बीमारी को मिटाने के लिए इतनी तेज दवा दी जाए कि दूसरी बीमारी पैदा हो जाए । पहली चली जाए, दूसरी पैदा हो जाए। बराबर संतति चले। कहीं ऐसा न हो कि संतति खंडित हो जाए। गोद भी यदि लेना पड़े तो ले लो। भले ही बीमारी को गोद में लेना पड़े पर छोड़ना नहीं । क्योंकि नाम बराबर चलना चाहिए। वंश-परम्परा को चलाने के लिए पुत्र नहीं होता तो जैसे-तैसे किसी को गोद ले लेते हैं कि नाम चले । नाम बराबर चलता रहेगा, अमर रहे, व्यक्ति मरे नहीं। बीमारी क्यों नहीं चाहेगी कि मैं भी अमर रहूं? जो भावना व्यक्ति में है, वह भावना बीमारी में भी होगी। एक ऐसा चक्र चलता है कि कहीं अन्त नहीं होता। चिकित्सा का प्रश्न
चरक ने लिखा-जो रोग को समाप्त करे और नया रोग पैदा न करे, उसका नाम चिकित्सा है । जिनवचन एक ऐसी दवा है, जो बीमारी को समाप्त करती है और नयी बीमारी को पैदा नहीं होने देती। बुढ़ापा, जन्म और मरण-ये तीन सबसे बड़ी बीमारियां हैं। आदमी बूढ़ा बनता है किन्तु बूढ़ा बनना कोई चाहता नहीं। आदमी मरता है किन्तु मरना भी कोई चाहता नहीं। इसलिए बूढ़ा होने और मरने का बहुत डर रहता है। जन्मने का डर नहीं लगता क्योंकि इसके बारे में व्यक्ति जानता ही नहीं है किन्तु जन्म लेना भी एक बीमारी मानी जाती है। चौथी बीमारी है
-शरीर की। चार दुःख माने जाते हैं-जन्म, मरण, जरा और व्याधि । जिनवचन में बुढ़ापे को हरण करने की क्षमता है, जिनवचन मृत्यु का भी हरण कर सकता है, रोग का निवारण कर अजर और अमर बना सकता है।
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