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________________ चित्त समाधि के सूत्र चंचलता के दो हेतु हैं-श्वास और मोहकर्म का विपाक । श्वास बाहरी कारण है और मोहकर्म का विपाक भीतरी कारण है । जब भीतर में मोह के परमाणु सक्रिय होते हैं तब चित्त की चंचलता बढ़ जाती है। यह चंचलता नाड़ी-संस्थान में अभिव्यक्त होती है । नाड़ी-संस्थान के बिना कर्मजनित चंचलता अभिव्यक्त नहीं हो सकती। मूर्छा कितनी ही हो, वह इस माध्यम के बिना प्रकट नहीं हो सकती ! बिजली का वोल्टेज कितना ही हो, प्रकाश की अभिव्यक्ति बल्ब के बिना नहीं हो सकती। विद्युत् का प्रवाह तारों में गतिशील है परन्तु कांच की दीपिका के बिना वह प्रकट नहीं हो सकता । भीतर मोह के परमाणु कितने ही सक्रिय हों, उत्तेजित हों किन्तु यदि नाड़ी-संस्थान में चंचलता नहीं है तो उनकी चंचलता प्रकट नहीं होगी। नाड़ीसंस्थान की चंचलता के लिए प्राण का चंचल होना जरूरी है और प्राण की चंचलता के लिए श्वास का चंचल होना जरूरी है। सारा सम्बन्ध जुड़ता है श्वास के साथ। श्वास और आवेग काम, क्रोध, घृणा, ईर्ष्या, अहंकार आदि की तरंगें श्वास की चंचलता के बिना नहीं उभरती । क्रोध आता है तो श्वास तीन हो जाता है या श्वास तीव्र होता है तब क्रोध की तरंग आती है। श्वास शांत होता है तो आवेग शांत हो जाता है, आवेग शांत होता है तो श्वास शांत हो जाता है। दोनों का गहरा सम्बन्ध है । श्वास का मूल्यांकन नहीं करने वाला समाधि में विघ्न डालने वाले आंतरिक कारणों से नहीं निपट सकता । इसलिए उसको चाहिए कि वह सबसे पहले श्वास-प्रेक्षा का अभ्यास करे । वह यह जान जाए कि श्वास शांत कब कैसे किया जा सकता है ? कोई भी उत्तेजना की तरंग उठे, श्वास मंद कर दें, उत्तेजना की तरंग शांत हो जाएगी। श्वास संवर यह निश्चित है चित्त शान्त नहीं होगा तो शक्तियों का जागरण नही होगा। मन की चंचलता समाप्त नहीं होगी तो शक्तियां विकसित नहीं होगी शक्तियों प्रकट नहीं होगी। मानसिक विलय ही एकमात्र रास्ता है सारी शक्तियों के प्रकट होने का। यदि हम उस रास्ते को छोड़ देते हैं तो शक्तियं के अभ्युदय का, उनके जागरण का हमारे पास कोई विकल्प नहीं रहता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003056
Book TitleChitt aur Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages374
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size16 MB
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