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चित्त और मन
कुंभक किए ही अभ्यास के द्वारा मन को खाली कर दे। हम चलते हुए भी ऐसा कर सकते हैं। हम मन को खाली कर कहीं भी जाएं, वहाँ क्या हो रहा है, उसका भान नहीं होगा। नागरिकता बदले .. सामायिक की साधना शांति और मानसिक संतुलन की साधना है, कषाय-मुक्ति की साधना है । सामायिक की सिद्धि का उपाय है-मन को खाली करना । हम शरीर का शिथिलीकरण करें, श्वास को रोककर मन को खाली करें। यह बार-बार करें। दिन में कई बार करें। ऐसा करने पर समता या निर्विकल्प अवस्था का अनुभव हो सकता है। इस सचाई का अनुभव करें-हमें मनोराज्य का नागरिक नहीं रहना है । हमें नागरिकता को बदलना है, अमन राज्य की नागरिकता स्वीकार करनी है। जहां मन नहीं होता, कोरी चेतना रहती है । इस स्थिति में गए बिना दुःख कम नहीं हो सकता। अमन की स्थिति ही दुःख को कम करने की स्थिति है । हम दिन-रात मन के साम्राज्य में रहते हैं । सोते हुए भी हम मन का खेल खेलते हैं और जागते हुए भी मन का खेल खेलते हैं । चौबीस घण्टों में हम कम से कम बीस मिनट, आधा घण्टा तो ऐसा अभ्यास करें कि मन की स्थिति न रहे, अमन की स्थिति उत्पन्न हो जाए। ऐसा करने पर नया अनुभव होगा, नया जीवन प्रारम्भ होगा । पुराना जीवन यानी मानसिक क्रीड़ाओं का जीवन । नया जीवन यानी मनोतीत जीवन, अमन का जीवन, केवल चेतना की भूमिका पर बिताया जाने वाला जीवन । हम इसका अभ्यास करें और चित्त के साथ जीना सीखें, चेतना के साथ जीना सीखें तो जीवन में अबाध सुख का स्रोत फूट सकता है।
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