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चित्त और मन
० पुराने संस्कार टूटते हैं, नए संस्कार निर्मित होते हैं।
जैसे-जैसे संकल्प-शक्ति बढ़ती है वैसे-वैसे एकाग्रता का विकास होता है या जैसे-जैसे एकाग्रता बढ़ती है, वैसे-वैसे संकल्प-शक्ति का विकास होता है। जैसे-जैसे संकल्प-शक्ति बढ़ती है वैसे-वैसे मन की शक्ति का विकास होता है। मन तब पूर्ण सुरक्षित हो जाता है । उसका कवच वज्रमय बन जाता है, कोई उसे तोड़ नहीं सकता। तब बाहर से भी मन को प्रभावित नहीं किया जा सकता और भीतर से भी उसको प्रभावित नहीं किया जा सकता। इस स्थिति में मन भीतरी झरनों को कह देता है-अपना पानी और कहीं से बहायें। मैं आपके पानी को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं हूं। बाहर के निमित्तों को भी वह अस्वीकृति दे देता है, निश्चिन्त होकर अपना काम करने लग जाता है। मन का प्रशिक्षण
दर्शन का एक आयाम है-मन का प्रशिक्षण । मानसिक प्रशिक्षण से मन को अनुशासित किया जा सकता है। हम मन को प्रशिक्षित कर, मन को सूक्ष्म बनाकर जितना देख सकते हैं उतना स्थूल मन के द्वारा नहीं देख पाते। मन को प्रशिक्षित करने के अनेक सूत्र हैं। उनमें पहला सूत्र है-भावक्रिया । भावक्रिया का अर्थ है-कर्म और मन का सामंजस्य । कर्म और मन-दोनों साथ-साथ चलें । मन कहीं भटक रहा है और क्रिया कुछ हो रही है, यह विसंवाद है। भावक्रिया सधता है तो मन सध जाता है। खाएं तो मन खाने की स्मृति में रहे, चले तो मन चलने की स्मृति में रहे, बोले तो मन बोलने की स्मृति में रहे, सोचें तो मन मस्तिष्क की प्रक्रिया में जुटा रहे, यह है कर्म और मन का सामंजस्य। भावक्रिया : महत्त्वपूर्ण आयाम
भावक्रिया दर्शन का महत्त्वपूर्ण आयाम है। जव भावक्रिया सध जाती है तब ध्यान की पद्धति केवल एक घंटा बैठकर करने की पद्धति नहीं रहती, वह समग्र जीवन दर्शन बन जाता है । इस स्थिति में प्रत्येक क्रिया में ध्यान बना रहेगा। फिर चाहे व्यक्ति झाडू लगाएगा, तब भी ध्यान होगा। हाथ झाडू लगाएगा तो मन भी साप-साथ झाडू लगाने की दिशा में संलग्न हो जाएगा। यह नहीं होगा कि हाथ तो झाडू लगाए और मन कहीं सिंहासन पर जाकर बैठ जाए। यह व्यक्तित्व का विभाजन नहीं होगा, खंडित व्यक्तित्व नहीं होगा। जिस काम में शरीर व्याप्त है, उसी काम में मन व्याप्त हो जाएगा। ऐसा नहीं होगा कि मन आदेश देकर कहीं चला जाए और शरीर बेचारा काम करता रहे । यह स्वामी और सेवक का संबंध भावक्रिया में नहीं रहेगा। वहां दो साथियों का संबंध होता है मन और शरीर में। दोनों
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