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चित्त और मन
उन झरनों को बंद कर देना, आस्रवों का संवर करना । समें हम मन का सहारा ले सकते हैं । इससे मन की शुद्धि हो सकती है ।
झरनों को सुखाना, सबसे पहला उपाय है ।
दूसरा उपाय होगा- मन की नाली को बंद कर देना । जिससे कि भीतर से जो आए, उसे वह स्वीकार न करे, संबंध कट हो जाए। ये दोनों उपाय चलें तो परेशानी का अन्त होगा और आदमी यह शिकायत कभी नहीं करेगा कि प्रातः एक बात सोचता हूं, मध्याह्न में दूसरी बात सोचता हूं, शाम को तीसरी बात सोचता हूं और करता कुछ और ही हूं ।
पहले हम बाहर से चलें, भीतर के झरनों से संबंध-विच्छेद कर दें 1 घरों से संबंध ही तोड़ दें, जिससे घरों की गंदगी इन नालियों तक पहुंचे ही नहीं । इसका उपाय यही है । दुनिया में कोई बात निरुपाय नहीं होती ।
मन को शुद्ध और स्वच्छ करने का एक उपाय है - संकल्प की दृढ़ता । मन कल्पनाशील है । वह बहुत कल्पना करता है, निरन्तर कल्पना करता ही रहता है । परन्तु कोई कल्पना टिकती नहीं । कल्पना आती है और चली जाती है । क्योंकि कल्पना करने वाले मन की शक्ति क्षीण हो गई । आदमी बाहर से भी प्रभावित होता है और भीतर से भी प्रभावित होता है ।
प्रभावों को दुनिया
हमारी सारी दुनिया प्रभावों की दुनिया है । कभी तूफान आता है, बबण्डर उठता है, आंधी आती है, यह केवल हमारी पृथ्वी की घटना नहीं है | आज के वैज्ञानिक, पुराने ज्योतिषी, खगोलशास्त्री और आकाशीय पिण्डों का अध्ययन करने वाले महामनीषी व्यक्ति इस सच्चाई को जानते हैं कि दूसरे ग्रहों में घटना घटती है तब पृथ्वी पर आंधियां, भयंकर तूफान आते हैं । वहां की प्रतिक्रिया यहां होती है । अकाल होता है, अवृष्टि और अतिवृष्टि होती हैये भी पृथ्वी की घटनाएं नहीं हैं । इनके साथ आकाशीय घटनाएं भी जुड़ी होती हैं । हमारी समूची पृथ्वी न जाने कितने आकाशीय पिण्डों का प्रभावित क्षेत्र है ! वहां के विकरण, वहां की रश्मियां यहां आती हैं और प्रभाव डालती हैं । कुछ वर्षों पूर्व एक बार राजस्थान में बहुत वर्षा हुई। लोगों ने अनुमान लगाया कि अभी-अभी राजस्थान में अणु विस्फोट किया गया है, उसी का परिणाम है । किंतु सच्चाई यह नहीं थी । सच्चाई यह थी कि उस वर्ष सूर्य में कुछ विस्फोट हुए थे । उसकी कुछ विशेष स्थिति बनी थी इसलिए यहां अतिवृष्टि हुई थी । हमारी यह पृथ्वी आकाशीय चुम्बकीय तत्त्वों से जुड़ी हुई है । हमारा मन भी आकाशीय और पृथ्वी के चुम्बकीय तत्त्वों से जुड़ा हुआ हैं । न जाने कितने चुम्बक हमें खींच रहे हैं ।
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