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मानसिक स्वास्थ्य
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हमारे चैतन्यकेन्द्र जागृत हो जाएं, सक्रिय हो जाएं । प्रेक्षा ध्यान के द्वारा यह संभव है । चैतन्यकेन्द्रों का जागृत कर हम मन पर ऐसा कवच तैयार कर दें जिससे बाहर का कुछ भी प्रवेश न कर सके । इस स्थिति में ही मानसिक स्वास्थ्य की उपलब्धि संभव बन सकती है ।
मानसिक स्वास्थ्य : कसौटी
मनोविज्ञान ने 'परसनेलिटि पेरामीटर' की पद्धति से व्यक्तित्व को अंकित करने और मानसिक स्वास्थ्य को जांचने के छह सूत्र दिए हैं। ये छह पेरामीटर हैं ।
पहला पेरामीटर है— वेश-भूषा । व्यक्ति कैसे पकड़े पहनता है ? वह अपने प्रति कितना सजग है ? यह कपड़ों को किस चतुराई से धारण करता है । कपड़े पहनने की विधि से मन की प्रसन्नता नापी जा सकती है ।
व्यवहार
दूसरा पेरामीटर है— व्यवहार । व्यक्ति विभिन्न परिस्थितियों में कैसा व्यवहार करता है । कभी संतुलित व्यवहार और कभी असंतुलित व्यवहार करने वाले का मन स्वस्थ नहीं होता । जो व्यक्ति मानसिक दृष्टि से स्वस्थ है तो उसके प्रति सामने वाला कितना ही दुर्व्यवहार क्यों न करे, वह अपना संतुलन नहीं खोएगा । वह अच्छा व्यवहार ही करेगा । वह अपने अच्छे व्यवहार के द्वारा सामने वाले व्यक्ति के व्यवहार को बदलेगा या उसे यह सोचने के लिए बाध्य करेगा कि यह व्यक्ति सचमुच ही विनम्र और सद्व्यवहार करने वाला है ।
विचार
मानसिक स्वास्थ्य का तीसरा पेरामीटर है --विचार । मानसिक अशांति का बहुत बड़ा कारण यह है कि व्यक्ति विचार करना नहीं जानता । आदमी सोचने कुछ बैठता है और सोच कुछ और लेता है । आदमी जानता ही नहीं 'कि कैसे सोचना चाहिए? कैसे चिंतन करना चाहिए ? मनुष्य का सारा जीवन विचार के द्वारा संचालित होता है । उसके जीवन का सारा कार्यकलाप विचार के द्वारा निर्धारित होता है, किन्तु वह नहीं जानता कि कैसे सोचना चाहिए ? कैसे चिंतन करना चाहिए ? सोचते समय मनुष्य के सामने अनेक तर्क प्रस्तुत होते हैं और वह अपने सोचने के मार्ग से भटक जाता है । विचार के द्वारा व्यक्ति को परखा जा सकता है । व्यक्ति के विचारों का विश्लेषण करो और तुम यह जान जाओगे कि वह कैसा है । विचार के द्वारा ही व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को जाना जा सकता है । जब मन स्वस्थ होता है तब व्यक्ति की उपज भी स्वस्थ होती है । वह सही बात को सही ढंग से
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