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पावस-प्रवास
३४८ चा० सं० अग्रगण्य नाम (दी० ऋ०) गांव ठाणा सहयोगी मुनि १९०६ आचार्यश्री रायचंदजी रावलिया साधु तथा साध्वियां भी थीं। १९०६ मुनिश्री स्वरूपचंदजी (६२) रोयटर
, साध्वीश्री चन्दनांजी' (१६५) बगड़ी ३ १९१४ मुनिश्री स्वरूपचंदजी (६२) रोयट १२ । १९१५ आचार्यश्री जीतमलजी रोयट संत १७ साध्वी-प्रमुखा सरदारांजी
आदि ४५। १९१६ साध्वीश्री हस्तूजी (१५२) चूरू ६ १९१७ मुनिश्री स्वरूपचंदजी (६२) रोयट १३ १९१८ आचार्यश्री जीतमलजी रोयट संत २० साध्वी-प्रमुखा सरदारांजी
आदि ४५ । १९१६ अप्राप्त १९२० मुनिश्री स्वरूपचंदजी (६२) रोयट १९२१ " " " " १९२२ , , , ,
,
"
१९२४ , , १९२५ ॥ १९२६ अप्राप्त १९२७ आचार्यश्री जीतमलजी
रोयट
संत १६ साध्वी-प्रमुखा सरदारांजी
आदि ५० ।
१६२८ अप्राप्त १९२६ १६३०
१९३१
॥
१९३२ आचार्यश्री जीतमलजी रोयट संत १९ साध्वी-प्रमुखा गुलाबांजी
__ आदि ४६ । १९३३ , , , संत १६ साध्वी-प्रमुखा गुलाबांजी
आदि ५१ । १. साध्वीश्री सरदारांजी (१७१) का उस वर्ष १२ ठाणों से जोबनेर चातुर्मास था
उन्होंने अपने सिंघाड़े की पन्नांजी (१२६) आदि ४ साध्वियों को पाली तथा उक्त चंदनांजी (१६५) आदि तीन साध्वियों को चातुर्मास के लिए लाडनूं भेजा ।
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