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________________ (७) पुनः वहीं ठप्प हो गया। मेरे जीवन-निर्माता, जिनको उपहार समर्पित करना था वही हमारे बीच प्रत्यक्ष नहीं रहे फिर पुस्तक किसलिए तैयार करूं, यह प्रश्न मानस-पटल पर उभर रहा था। एक दिन मैं चिंतन में खोया हुआ था। चिन्तन से एक स्फुलिंग निकला, जिस कार्य के सन्दर्भ में मैं अपने प्रभु को निवेदन कर चुका हूं, उसको तो किसी भी हालात में पूरा करना है। चिंतन का यही स्फुलिंग 'जो सहता है वही रहता है' पुस्तक को आपके हाथों में पहुंचाने में सहायक बना है। इस पुस्तक में 'अभिव्यक्ति' प्रदान कर आचार्यश्री महाश्रमण ने मेरे उत्साह को बढ़ाया है, इस हेतु मैं आपश्री का कृतज्ञ हूं। इसके अलावा उन दिव्यात्माओं का भी आभारी हूं, जिन्होंने समय-समय पर मेरी समस्याओं का समाधान किया और उन महानुभावों को साधुवाद देता हूं जिन्होंने इस कृति का अवलोकन कर अपने-सुझाव प्रदान किये, जिनकी वजह से कृति में निखार आ सका। ___ 'जो सहता है, वही रहता है' पुस्तक युवापीढी को नई दिशा देने वाले सूत्रों को संजोये हुए है। ये सूत्र युवाओं के जीवन-निर्माण में चमत्कारिक ढंग से कार्य करेंगे। जिससे युवा जोश के साथ होश को कायम रख सकेंगे और अपने सोचने के तरीके को सम्यक बना सकेंगे। ११/१०/२०१० - मुनि जयंतकुमार तेरापंथ भवन, सरदारशहर Jain Education International Jain Education International For Private & Personal Use Only For Private & Personal use only www.jain www.jainelibrary.org
SR No.003054
Book TitleJo Sahta Hai Wahi Rahita Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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