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व्यक्तित्व के विविध रूप परिवर्तन का नियम
एक प्रौढ़ महिला अपने छोटे बच्चे को अपनी शादी का एलबम दिखा रही थी। एक चित्र में उसके साथ एक युवक खड़ा था।
बच्चे ने पूछा, 'मम्मी यह कौन है?' महिला ने कहा, 'तेरे पापा।'
बच्चे ने कहा, 'अगर ये पापा हैं, तो फिर अपने घर में जो गंजा आदमी रहता है वह कौन है?'
'वह भी तेरे पापा हैं।' यह परिवर्तन का नियम है, जो व्यक्ति कभी जवान था, आज बूढ़ा बन गया। कभी चमेली के तेल से सुगंधित काले व धुंघराले बाल थे, आज वह गंजा हो गया । जो इस नियम से अनभिज्ञ हैं, उनके सामने यह प्रश्न उठता रहता है कि यह कौन है और वह कौन है? जो नियम को जानता है, उसके सामने समस्या पैदा नहीं होती। हम परिवर्तन के नियम को नहीं जानते, इसीलिए बहुत बार उलझ जाते हैं। एक व्यक्ति को दोपहर में देखा, वह क्रोध से उबल रहा था। सुबह वह शांतिनाथ था, दोपहर होते-होते वह ज्वालानाथ बन गया। इतना अंतर आ गया। आदमी सोचता है, क्या यह वही आदमी है, जिसे प्रातः काल देखा था। आदमी तो वही है, किन्तु इसका मन बदल गया। आचरण बदल गया, इसलिए व्यवहार भी बदल गया। व्यक्तित्व के प्रकार
आचरण और व्यवहार का मन से बहुत गहरा संबंध है। हम कभी-कभी आचरण को देखकर कल्पना कर सकते हैं कि अमुक व्यक्ति का मन कैसा है? कभी-कभी मन की स्थिति से आचरण की कल्पना कर सकते हैं। दोनों में गहरा संबंध जुड़ा हुआ है। ऐसा क्यों है? यह परिवर्तन क्यों होता है? इसका कारण क्या है? इस कारण की खोज की गई। धर्म के आचार्यों ने खोज की और आयुर्वेद के आचार्यों ने भी खोज की। अध्यात्म और आयुर्वेद, दोनों बहुत आस-पास चले हैं। आयुर्वेद के एक सिद्धान्त की चर्चा के आधार पर हम समझें। मन के विषय में आयुर्वेद की क्या मान्यता है? मन के आधार पर
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