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________________ समता की दृष्टि ६५ जा रहा हूँ। मेरी तलवार कुछ समय के लिए अपने पास रख लो। अभी-अभी लौट आता हूँ। आते ही मैं अपनी तलवार ले लूंगा।' तपस्वी ने कहा, 'अच्छा, रख दो। जल्दी लौट आना।' इंद्र चला गया। एक-दो घंटे बीते। दिन बीत गया। रात भी बीत गई। इंद्र लौटकर नहीं आया, उसे तो आना ही नहीं था। सोने की तलवार थी। तपस्वी को सुरक्षा करनी थी, अन्यथा उसे कोई चुराकर ले जा सकता था। प्रतीक्षा करता रहा। इंद्र नहीं आया। प्रतीक्षा में उसने साधना बंद कर दी। साधना कमजोर हो गई। तपस्वी तपस्या को भूल गया। सोने की तलवार की सुरक्षा स्मृति में बनी रही। साधना का आसन हिला और इंद्रासन मजबूत हो गया। मैं देखता हूँ कि जब-जब तपस्या शुरू होती है, इंद्रासन डोल ही जाता है। सबके भीतर एक-एक इंद्र बैठा है। उसका अपना इंद्रासन भी है। जब आदमी ध्यान करता है, इंद्र का आसन डोलने लगता है, गद्दी को खतरा पैदा हो जाता है, तब फिर वह सोने की तलवार रख जाता है और साधक उसकी सुरक्षा में ध्यान को भूल जाता है। जिन लोगों ने ध्यान का अभ्यास और अनुभव किया है, वे जानते हैं कि जो निषेधात्मक विचार सामान्य अवस्था में कभी नहीं आते, वे ध्यान-काल में अवश्य ही उभरते हैं। ऐसा क्यों होता है? क्योंकि जब आदमी ध्यान करता है, तब इंद्रासन डोल जाता है और उस आसन की सुरक्षा के लिए, यह सोने की तलवार (निषेधात्मक भाव) सामने आती है। साधक जब ध्यान की गहराइयों में उतरता है और जब उसका तेज बढ़ता है, तब भीतर बैठा हुआ इंद्र काँप जाता है। इंद्र का अर्थ है-परम ऐश्वर्य एवं शक्ति से सम्पन्न और सबसे बड़ा। हमारे जीवन-चक्र में एक परम शक्तिशाली तत्त्व बैठा हुआ है, जो समूचे जीवन का संचालन कर रहा है। वह इंद्र का स्थान लिए बैठा है। उसका नाम लोभ है। केन्द्र में लोभ है और दूसरे सारे तत्त्व परिधि में हैं । केन्द्र का स्थान, इंद्र का स्थान केवल लोभ को ही प्राप्त है। लोभ सबका संचालन करता है। यह सबसे अधिक शक्तिशाली, ऐश्वर्य और वैभव से सम्पन्न है। यह समर्थ है। दूसरे सारे इसकी पर्युपासना में लगे रहते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003054
Book TitleJo Sahta Hai Wahi Rahita Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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