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जो सहता है, वही रहता है
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• ऑटोसजेशन का प्रयोग
रात्रि में सब कार्यों से निवृत्त होकर जब सोएं, शरीर रिलेक्स हों, आंखें कोमलता से बंद हों, 'मेरी सहनशक्ति का विकास हो रहा है' उक्त शब्दावली को नींद न आये तब तक दोहराते रहें। प्रयोग में नीरंतरता बनी रहे, जिससे १ महिने के बाद स्वयं में बदलाव महसूस करेंगे। • मंत्र का प्रयोग
ॐ ऐं ह्रीं णमो लोए सव्वसाहूणं-प्रतिदिन पूर्वाभिमुख होकर १०८ जप करें। प्रत्येक पद के उच्चारण के साथ नए वस्त्र के एक-एक गांठ लगाएं। परिणाम-पारस्परिक सौहार्द का विकास होता है। आसन-प्राणायाम त्रिकोणासन-दोनों पैरों को फैलाकर सीधे खड़े रहें। बांए पावं के पंजे को बाईं तरफ सीधा करें। पूरक करते हुए बांए पंजे के पास बायां हाथ रखते हुए घूटने को मोड़े। दाहिने हाथ को धीरे-धीरे ऊपर ले जाएं। बांह कानों को स्पर्श करेगी। कमर, कंधे और गर्दन को बाईं ओर झुकाएं। हाथ भी बाईं ओर सीधा झुकेगा। रेचन करते हुए कुछ क्षण रुकें। पूरक कर कमर और गर्दन को सीधा करें। हाथ को धीरे-धीरे शरीर के सामने ले आएं। बाईं ओर से बाएं हाथ को फैलाकर कोण बनाएं। इसी प्रकार दाएं पैर और दाएं हाथ की ओर भी करें। समय सीमा का ध्यान रखें। एक आवृति में प्रारंभ में १ मिनिट का समय लगे। अभ्यास के बाद तीन मिनिट तक ले जा सकते हैं। लाभ-फेफड़े सुदृढ़ और शरीर में कांति की अभिवृद्धि होती हैं।
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