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________________ दिशा और दशा १७५ नहीं हो सकता। सबसे पहले यह समझना होगा कि हम एक-दूसरे का सहारा लिए बिना आगे नहीं बढ़ सकते, विकास नहीं कर सकते। प्रत्येक मनुष्य समान है, विकास में सबका योग है। यह सूत्र पकड़ पाएँ तो समानता की ओर गति होगी। इसके लिए जरूरत है एक आंदोलन की, जो जनता में समानता की चेतना जगा सके, अहं और घृणा की चेतना को परिष्कृत कर सके। इस अभिक्रम की सफलता लोकतंत्र को स्वस्थ, पवित्र और चिरंजीवी बना देगी। अहिंसा की वास्तविक सच्चाई वास्तविक सच्चाई और व्यावहारिक सच्चाई के बीच एक दूरी है। वह दूरी अतीत में थी और आज भी है। मानवीय दुर्बलता पहले भी थी और आज भी है। मनुष्य आदर्श की बात करता है, उसे जीना पसंद नहीं करता। उसके भीतर महानता और अल्पता, दोनों के बीज विद्यमान हैं। महानता के बीज को जब सिंचन मिलता है, तब वह आदर्श की ओर कदम बढ़ाता है। अल्पता के बीज सक्रिय होकर उसे आदर्श विमुख बना देते हैं। यही हेतु है वास्तविक सच्चाई और व्यावहारिक सच्चाई की दूरी का। ___अहिंसा वास्तविक सच्चाई है। भगवान महावीर ने कहा- अहिंसा सब जीवों का कल्याण करने वाली है। जैसे भूखे के लिए भोजन, प्यासे के लिए जल और पक्षी के लिए आकाश सहारा है, वैसे ही अहिंसा सबके लिए सहारा है। व्यवहार की समस्या प्रबल बनती है, तब आदमी इस वास्तविक सच्चाई को आँखों से ओझल कर देता है। प्रश्न है औचित्य का 'अकडं करिस्सामि' जो कार्य किसी ने नहीं किया, वह मैं करूँगा, यह धारणा भी आदमी को वास्तविक सच्चाई से दूर ले जाती है। वैज्ञानिक जगत में एक होड़ लगी हुई है कुछ नया खोजने की, कुछ नया करने की। नया खोजना बुरा नहीं है, किन्तु जिस नई खोज के साथ मानव जाति के विनाश की बात जुड़ी हुई हो, वह नई खोज निश्चित ही रावांछनीय है। मैक्सिको के डॉक्टरों ने पार्किंसन (एक प्रकार का कंपनशील लकवा) से पीड़ित दो रोगियों के मस्तिष्क में भ्रूण के टिस्सुओं का प्रत्यारोपण किया। इससे उन रोगियों को काफी राहत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003054
Book TitleJo Sahta Hai Wahi Rahita Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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