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आठ
वे इस कार्य में दक्ष हैं। प्रस्तुत पुस्तक के संपादन में मुनि धनंजयकुमार ने
निष्ठापूर्ण श्रम किया है।
२१ अक्टूबर, १९६१ जैन विश्व भारती लाडनूं (राजस्थान)
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युवाचार्य महाप्रज्ञ
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