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________________ मिताहार हम भोजन इसलिए करते हैं कि शक्ति बढ़ जाए। दूसरी बात है क्षति की पूर्ति । जो शक्ति क्षीण हुई है, उसकी पूर्ति हो जाए । दिमाग को काम करना है तो दिमाग की क्षतिपूर्ति हो जाए। अवयवों को काम करना है तो उनकी क्षतिपूर्ति हो जाए । हम यह सोचे-हम जो भोजन कर रहे हैं, उससे क्षति की पूर्ति हो रही है या नहीं? क्षति की पूर्ति करने वाला भोजन ही हमारे लिए उपयोगी हो सकता है। विजातीय का निर्गम तीसरी बात है विजातीय का निर्गम । व्यक्ति एक ओर भोजन कर रहा है किन्तु दूसरी ओर विजातीय मल संचित हो रहा है । महत्त्वपूर्ण बात यह है, जो मल संचित हो रहा है, उसका निर्गमन ठीक हो रहा है या नहीं ? यह एक ऐसी बात है, जो हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को ही नहीं, आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी हानि पहुंचाती है । स्वास्थ्य में बहुत बड़ी बाधा है मलों का निर्गमन ठीक न होना । हम खाते हैं, खाने के साथ-साथ मलों का जमाव शुरू होता है । शरीरशास्त्री मानते हैं-इधर भोजन हो रहा है और उधर मलों का जमाव होता चला जा रहा है। बुढ़ापा क्या है? बुढ़ापे का अर्थ है-मलों का जमाव हो जाना । अगर मलों का सम्यक् निस्सरण नहीं हो रहा है तो धमनियां अकड़ जाएंगी, लचीलापन खत्म होने लग जाएगा, बुढ़ापा जल्दी आ जाएगा, चेहरे पर झुर्रियां पड़ जाएंगी, काम करने की शक्ति का ह्रास होने लगेगा। भ्रान्त धारणा स्वास्थ्य के लिए भोजन से ज्यादा विजातीय के निर्गमन पर ध्यान देने की जरूरत है । भोजन का एक कालबद्ध क्रम बना हुआ है । सुबह नाश्ता करना है । व्यक्ति रोज़ नाश्ता कर लेता है । दूसरे प्रहर में और शाम को भोजन खाना है और व्यक्ति दोनों समय खाना खा लेता है। कुछ ऐसे भी होते हैं, जो इसके अलावा दिन में अनेक बार चाय और ठण्डा पेय लेते रहते हैं। भोजन करते समय व्यक्ति यह नहीं सोचता- आज पेट साफ नहीं है तो Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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