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________________ अरहते सरणं पवज्जामि २३७ आज मोह इतना प्रबल हो गया है कि व्यक्ति अपने आपको जान ही नहीं पा रहा है। मोह प्रबल है इसलिए वह अर्हत् को नहीं जानता और अर्हत् को नहीं जानता, इसका अर्थ है वह अपने आपको नहीं जानता। निदर्शन मोह का वर्तमान का चुनावी माहौल मोह का जीवन्त निदर्शन है। हम चुनावी भाषणों को सुनें, पढ़ें, मोह का पूरा चित्र सामने आ जाएगा। चुनावी भाषणों का सार है दूसरे दल को नीचा दिखाना, बुरा साबित करना और जनता को इस बात के लिए प्रेरित करना कि वह दूसरे दल को वोट न दे। इस नकारात्मक दृष्टिकोण के आधार पर जनता वोट देने का निर्णय करती है। इससे बड़ा मूढ़ता का उदाहरण क्या हो सकता है? यदि इसी निषेधात्मक दृष्टिकोण के आधार पर चुनाव प्रणाली चलती रही तो पूरा देश नकारात्मक बन जाएगा। उसके पास रचनात्मक दृष्टिकोण रहेगा ही नहीं, करने का कुछ भी नहीं बचेगा। सदाचार : चुनाव का मूल आधार चुनाव का मूल आधार बनना चाहिए सदाचार । वोट उसे दिया जाए, जो सदाचारी हो, व्रती हो, चरित्रनिष्ठ, ईमानदार और नैतिक हो। देश की कितनी बड़ी शक्ति है, कितना बड़ा खजाना है। उसको पाकर सदाचारी रहना असंभव तो नहीं है किन्तु हलाहल जहर पीने के बराबर अवश्य है। उस जहर को पीने की ताकत वह नहीं जुटा पा रहा है किन्तु केवल दूसरा जहरीला है, यह प्रचारित किया जा रहा है। जहां इस प्रकार की स्थिति चल रही हो, वहां कैसा वातावरण हो सकता है? मोह चेतना प्रबल न हो तो यह स्थिति नहीं बन सकती । बोटर प्रबुद्ध कहां है? ___ कहा जा रहा है-आज भारतीय वोटर बहुत प्रबुद्ध हो गया है पर वह प्रबुद्ध कहां है? आज भी उतना ही प्रबल है जातिवाद और संप्रदायवाद, उतना ही नशा है अपनी पार्टी और अपने दल का। ये तीनों ही बड़ी समस्याएं हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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