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________________ १८४ अपना दर्पणः अपना बिम्ब प्रवर्तन हो नई धारा का हम इस बिन्दु पर सोचें - क्या धार्मिक जगत् दुनियां को बहुत बड़ा अवदान दे सकता है? वह बहुत बड़ा अवदान दे सकता है, एक नई धारा का प्रवर्तन कर सकता है। लेश्या का सिद्धान्त एक ऐसा सिद्धान्त है, जिसका उपयोग शिक्षा और चिकित्सा - दोनों क्षेत्रों में किया जा सकता है। धार्मिक जगत् के ऐसे अनेक अवदान हैं, जो दुनियां के लिए सुख और शान्ति का स्रोत बन सकते हैं। आज अध्यात्म के क्षेत्र में कुछ ऐसी नई शाखाओं का शिलान्यास होना चाहिए। प्रासाद खड़ा होने में समय लग सकता है। शिलान्यास हो जाए, उस पर प्रासाद बनाने का कार्य शुरू हो जाए तो एक दिन एक भव्य इमारत बनाने का सपना साकार हो जाएगा। हम कोई ऐसा कार्यक्रम बनाएं, ऐसा बीज बोएं और उसे निरन्तर सिंचन देते रहें, एक दिन वह एक विशाल वृक्ष बन जाएगा। आवश्यकता है बीजारोपण की, सिंचन और सुरक्षा की। अध्यात्म के क्षेत्र में कुछ नए बीज बोए जा सकते हैं, कुछ नए प्रासाद खड़े किए जा सकते हैं, जिनका निर्माण विज्ञान के द्वारा संभव नहीं है। हालांकि वैज्ञानिक लोग अनेक दिशाओं में आगे बढ़ने के लिए प्रयत्नशील हैं लेकिन कुछ कार्यक्रम ऐसे हैं, जो अध्यात्म के लोगों को विरासत से उपलब्ध हैं और जिन तक वैज्ञानिकों की पहुंच नहीं है । अध्यात्म के लोगों को कहीं से कुछ आयात करने की जरूरत नहीं है, मांगने की जरूरत नहीं है। हम केवल अपने आप से मांगें । अपनी साधना और आराधना से मांगें। अपने तत्त्वज्ञान और अध्यात्म दर्शन से मांगें। हमें विरासत से विशाल ज्ञान राशि उपलब्ध है । केवल जरूरत है निर्माण की, गहन अध्ययन और मनन की, सघन चिन्तन और मंथन की । यदि यह हो जाए तो बहुत सारी नई बातें प्रस्तुत की जा सकती हैं। जरूरत है चिन्तन-मंथन की लेश्या जैसा गंभीर सिद्धान्त जिस दर्शन के पास है और जिसके महत्त्वपूर्ण फार्मूले उपलब्ध हैं क्या वह भाव चिकित्सा के क्षेत्र में नया काम नहीं कर सकता ? हम शरीर चिकित्सा की बात छोड़ दें, चीर-फाड़ करने की बात छोड़ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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