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________________ १७० अपना दर्पणः अपना विम्ब और समर्थ थे। किन्तु दोनों में ही अक्खड़पन भी बहुत था, राठौड़ीपन भी था। राठौड़ी वृत्ति के लोग समझौता करना नहीं जानते। उन्होंने लचीला होना सीखा ही नहीं था। दोनों एकान्त आग्रह पर अड़ गए। प्रताप कहता है-हिरण मैंने मारा है और शक्तिसिंह कहता है-हिरण मैंने मारा है। हिरण किसके बाण से मरा? इसका निपटारा कौन करे? दोनों सगे भाई, दोनों में बड़ा प्रेम किन्तु इस एक बात ने दोनों को आमने-सामने खड़ा कर दिया। ऐसा लगता है-उस समय दोनों कृष्ण लेश्या के परिणामों में चले गए। दोनों ने शस्त्र निकाल लिए और एक-दूसरे को मारने के लिए कटिबद्ध बन गए। परिवर्तन के प्रयत्न मेवाड़ का राजपुरोहित दोनों राजकुमारों के साथ था। उसने देखा-अनर्थ हो रहा है। यह अन्याय होगा। दोनों शक्तिशाली हैं, शस्त्रों से सज्जित हैं। दोनों ओर से एक साथ प्रहार होगा,दोनों अकाल मौत मर जाएंगे । मेवाड़ पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ेगा। राजपुरोहित उन दोनों में बीच-बचाव करने के लिए आगे आया। उसने कहा-राजकुमारो! आप क्या कर रहे हैं? मेवाड़ की धरती शत्रुओं से घिरी हुई है, चारों ओर से कठिनाइयां प्रस्तुत हो रही हैं। शत्रु घात लगाए बैठे हैं। आप लोग ऐसा करेंगे तो मेवाड़ का क्या होगा? हमारी स्वतंत्रता का क्या होगा? राजपुरोहित ने बहुत समझाया पर दोनों राजकुमार अपनी बात से हटने के लिए तैयार नहीं हुए। जब तवा गर्म होता है तब उस पर पानी की जो बूद गिरती हैं, उनका कोई विशेष असर नहीं होता। राजपुरोहित का बलिदान राजकुमारों का अपरिवर्तित मानस राजपुरोहित के लिए चिन्ता का विषय बन गया। बदलने के लिए लेश्या का परिवर्तन जरूरी है। यह एक तथ्य है-जब जब किसी व्यक्ति ने अनशन या सत्याग्रह किया है तब तब लेश्या का परिवर्तन हुआ है। वह इतनी बड़ी घटना होती है कि व्यक्ति बदल जाता है, उसकी लेश्या बदल जाती है, रंग बदल जाता है और सामने वाले व्यक्ति का हृदय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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