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________________ १५८ अपना दर्पणः अपना बिम्ब को उन्नत और प्रभावी बना सकते हैं,अपने चिन्तन को स्वस्थ और शक्तिशाली बना सकते हैं। लेश्या : तीन प्रकार लेश्या के तीन प्रकार हैं-कर्म लेश्या, नोकर्म लेश्या और भाव लेश्या । दूसरी भाषा में कहें तो लेश्या के दो प्रकार हैं-पौद्गलिक लेश्या और चैतसिक या आत्मिक लेश्या । पौद्गलिक लेश्या के दो प्रकार हैं-कर्म लेश्या और नोकर्म लेश्या। उत्तराध्ययन के लेश्याध्ययन के प्रारंभ में ही छह कर्म लेश्याओं का उल्लेख है लेसज्झयणं पवक्खामि आणुपुट्विं जहक्कम। छण्हं पि कम्मलेसाणं, अणुभावे सुणेह मे।। कर्म लेश्या कर्म बंधन के साथ लेश्या का गहरा संबंध है। लेश्या संक्लिश्यमान होती है तो अशुभ कर्म का बंध होता है। लेश्या विशुद्धयमान होती है तो शुभ कर्म का बंध होता है और क्षयोपशम बढता है। एक लेश्या हमारे शरीर के साथ निरन्तर चल रही है, आभामण्डल चल रहा है और कर्म को ग्रहण करते समय लेश्या वर्गणा के पुद्गल हमारे साथ निरन्तर काम कर रहे हैं। यह कर्म लेश्या है। नोकर्म लेश्या एक है नोकर्म लेश्या । यह जो सूरज का प्रकाश है, वह नोकर्म लेश्या है । जीवन के साथ उसका गहरा संबंध है। जहां सूरज का प्रकाश है, वहां जीवन है। जहां सूरज का प्रकाश नहीं है, वहां जीवन नहीं है। हमारी दुनिया का जीवन सूर्य के आधार पर चल रहा है। अगर सूर्य का प्रकाश बंद हो जाए तो पाचन तंत्र बिगड़ जाए। जब दिनभर आकाश बादलों से घिरा रहता है तब आदमी का पाचन-तंत्र गड़बड़ा जाता है, पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। पांच-सात दिन तक सूरज न दीखे और आदमी खाता ही चला जाए तो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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