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________________ १५१ लेश्या सिद्धान्त : ऐतिहासिक अवलोकन बुद्धिमान कौन? ___ एक लौकिक कहानी है। सैला, सांप और सियार-तीनों मित्र थे। जहां मित्रता होती है वहां हर प्रकार की चर्चा चल पड़ती है। एक बार तीनों के मन में प्रश्न उभरा-हम तीनों में बुद्धिमान् कौन है? जहां बुद्धिमत्ता का प्रश्न आता है वहां प्रत्येक व्यक्ति अपने आपको बुद्धिमान् बताने की कोशिश करता है। यदि दो छोटे बच्चों से पूछा जाए-तुम दोनों में बुद्धिमान कौन है? उन दोनों का एक साथ उत्तर आएगा-बुद्धिमान् मैं हूं। बच्चा कभी दूसरों को बुद्धिमान् स्वीकार नहीं करता। जो दूसरों को बुद्धिमान् मानता है, वह बच्चा ही नहीं है और जो दूसरों को बुद्धिमान् नहीं मानता, वह बड़ा होकर भी बच्चा है। प्रत्येक आदमी दूसरे को अपने से कम बुद्धिमान् मानता है। प्रत्येक आदमी सोचता है-मैं सोलह आना सही हूं। सामने वाला व्यक्ति ठीक नहीं है। भोला आदमी भी दूसरों की त्रुटि निकालने में होशियार होता है और बुद्धिमानी का ठेका स्वयं लिए रहता है। सांप ने कहा - मैं सौ तरह की बुद्धियां जानता हूं । सैला बोला-मैं पचास तरह की बुद्धियां जानता हूं। सियार ने कहा-मैं तो न सौ बुद्धियां जानता हूं और न पचास । मुझमें तो एक ही बुद्धि है। जब समस्या आती है तब उस बुद्धि को काम में ले लेता हूं। बात समाप्त हो गई । कुछ दिन बाद अचानक जंगल में आग लग गई। आग सारे जंगल में फैलने लगी। सांप आग से बचकर निकल नहीं सका । सैले का चलना तो और भी कठिन था। कांटों का भार लिए दौड़ना कब संभव था? दोनों आग में जलकर भस्म हो गए। सियार बहुत तेजी से दौड़ा और दौड़ता ही चला गया। जंगल के समाप्त होने पर खुले मैदान में पहुंचकर उसने राहत की सांस ली । वह जंगल की भभकती आग को देखकर बोल उठा सौ की होगी सीधड़ी, पचासां की दड़ी । आछी म्हारी एकली, लम्बे खाल खड़ी।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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