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________________ १४४ अपना दर्पणः अपना बिम्ब सकता था। प्रेक्षाध्यान के प्रशिक्षक ने उसे भावना का प्रयोग कराया, संकल्प शक्ति का प्रयोग कराया । पांच-छह दिन के प्रयोग से ही लड़के के स्वास्थ्य में आश्चर्यजनक सुधार आ गया । जो लड़का उठ भी नहीं सकता था, वह आज राजलदेसर से चलकर आपके दर्शनार्थ लाडनूं पहुंच गया है। यह है भावना का चमत्कार । बहुत गहरा है भावना का प्रयोग। हम जो सजेशन देते हैं, वे मन को नहीं, भाव को छूते हैं। जो मन के स्तर पर रहता है, वह कभी सफल नहीं हो सकता । हम मन के उस पार भावना के स्तर पर चले जाएं, भावना के स्तर पर अपनी बात पहुंचा दें, एक दिन में परिवर्तन घटित हो जाएगा। इसके लिए अपेक्षित है मनोविज्ञान के साथ साथ भावविज्ञान का गहरा अध्ययन। उत्तराध्ययन का तेतीसवां लेश्या अध्ययन भावविज्ञान का अध्ययन है। यदि हम इसका गहराई से विश्लेषण करें तो शायद एक प्रांति चक्र को तोड़कर गहरी सचाई तक पहुंच पाएंगे । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary,org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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