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________________ ६२ अपना दर्पणः अपना बिम्ब मस्तिष्क का कार्य प्रश्न होता है - मस्तिष्क का कार्य क्या है ? मस्तिष्क के दोनों गोलाद्ध का कार्य क्या है? हमारा सारा संचालन मस्तिष्क के द्वारा होता है। मुख्यतया मस्तिष्क या मेरुदण्ड के द्वारा हमारी प्रवृत्तियां संचालित होती हैं। दाएं मस्तिष्क का काम है - अनुशासन, धर्म, आस्था, सौजन्य, अच्छा आचरण आदि । अध्यात्मविद्या- पराविद्या का पूरा काम दाएं मस्तिष्क का है । बाएं मस्तिष्क का काम है - पढ़ना, लिखना आदि । तर्क, गणित, आदि जितनी लौकिक विद्याएं हैं, वे सब दाएं मस्तिष्क का कार्य हैं । दोनों का अपना अपना काम बंटा हुआ है । इन दोनों का तुलनात्मक अध्ययन करने पर हमारे हाथ में नियंत्रण और परिवर्तन के कई सूत्र आ जाते हैं। ऋतुचक्र आदमी की मनोदशा (Mood) बदलती रहती है । सुबह से शाम तक कम से कम सैकड़ों बार मूड बदलता होगा । एक बच्चे का मूड भी बदलता है, एक युवक का मूड भी बदलता है । समझदार और नासमझ - दोनों का मूड बदलता है । शायद ही ऐसा आदमी मिले, जिसका मूड न बदलता हो । बदलने का एक कारण है ऋतुचक्र | हमारे साथ एक ऋतु चक्र भी चलता है। एक वर्ष में छह ऋतुएं होती हैं- ग्रीष्म, वर्षा, शरद् आदि । सूक्ष्म अध्ययन करने वालों ने बताया- आदमी एक दिन छह ऋतुएं भोगता है । प्रातः काल का समय है तो बसंत ऋतु चल रही है। एक प्रहर बीतेगा, ग्रीष्म ऋतु आ जाएगी, सिर भी गरमाने लग जाएगा । किसी से ठण्डे दिमाग से बात करनी है तो प्रातः काल करो । दोपहर एक बजे अच्छी बात करेंगे तो वह भी उल्टी पड़ जाएगी । उस वक्त सामान्य बात भले ही करें, बहुत महत्त्वपूर्ण बात नहीं करनी चाहिए। कोई महत्त्वपूर्ण कार्य से जुड़ी बात हो, सुझाव या मार्गदर्शन की बात हो तो ग्रीष्म ऋतु में मत करो । हो सकता है-लेने के देने पड़ जाएं। शाम का समय होता है वर्षा ऋतु का । संध्या होते होते दिमाग ठंडा होने लगता है । प्रायः मंत्रणा का समय होता है सायं चार बजे के बाद । बारह बजे से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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