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________________ समवृत्ति श्वास प्रेक्षा स्वर के आधार पर वर्तमान, भूत एवं भविष्य की स्थितियां बतलाई गईं। कभी कभी स्वर के आधार पर ऐसी चामत्कारिक बातें कही गईं, जिनकी सामान्य आदमी कल्पना भी नहीं कर सकता । वह उन्हें एक चमत्कार ही मानता है। वस्तुतः हम नियम को जानते हैं तो वह हमारे लिए एक नियम होता है और नियम को नहीं जानते हैं तो वही नियम हमारे लिए एक चमत्कार बन जाता स्वरोदय शास्त्र एक चामत्कारिक विधि है स्वरोदय शास्त्र । स्वर का बहुत विकास हुआ। किस स्वर में कैसी प्रवृत्ति करनी चाहिए, कैसी प्रवृत्ति नहीं करनी चाहिए - इन सबका विधान किया गया । कहा गया - यदि गर्म प्रकृति का कोई काम करना है तो दायां स्वर चलना चाहिए। ठण्डे दिमाग से काम करना है, सौम्य और शांत काम करना है तो बायां स्वर चलना चाहिए । जब दोनों स्वर एक साथ चलने लग जाते हैं तब समाधि का कार्य होता है । उस समय केवल ध्यान आदि की साधना करनी चाहिए। न चल और न अचल, न सौम्य और न उष्ण, केवल समाधि की अवस्था। यह स्वरविज्ञान की खोज एक बहुत बड़े विज्ञान की खोज है। मस्तिष्कीय गोलार्द्ध-चक्र आज के वैज्ञानिकों ने स्वर-चक्र के साथ एक दूसरी खोज की और वह है मस्तिष्क के गोलार्डों का चक्र । जैसे यह स्वर-चक्र चलता है वैसे ही मस्तिष्क के गोलार्डों का एक चक्र चलता है । इसका समय माना गया है नब्बे मिनट । नब्बे मिनट तक दायां मस्तिष्क काम करता है और नब्बे मिनट तक बायां मस्तिष्क काम करता है । इसका अर्थ यह नहीं है कि एक स्वर-चक्र चलेगा तो दूसरा चक्र बंद हो जाएगा। इसका अर्थ यह भी नहीं है कि दायां मस्तिष्क काम करेगा तो बायां बिल्कुल बंद हो जायेगा । इसका तात्पर्य हैएक अधिक सक्रिय बन जाएगा तो दूसरा कम सक्रिय हो जाएगा । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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