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________________ रहस्यपूर्ण संकेत जीवन में अनेक उलझनें आती हैं, उनकी गहराई तक जाना बड़ा कठिन होता है । बाहर से उनका कुछ अर्थ निकलता है और भीतर जाएं तो अर्थ बदल जाता है । 1 जोधपुर नरेश को एक बार धन की आवश्यकता हुई । खजाने में रखा पूर्वजों का एक लेख मिला । उसमें लिखा था- जब कभी धन की जरूरत पड़े तो मकराना और खाटू के बीच में धन गड़ा है, उसे निकाल लेना । पत्र पढ़ कर राजा को प्रसन्नता हुई, किन्तु साथ-साथ समस्या भी प्रस्तुत हो गई । मकराना और खाटू के बीच लगभग तीस किलोमीटर की दूरी है । कहां-कहां खुदाई करें । अन्ततः प्रधान दीवान को बुलाया। उसके सामने समस्या रखीखजाने का पता तो चल गया, किन्तु अब वह मिले कैसे ? पूर्वजों का लेख पढ़ाया गया | दीवान हंसराजजी सिंघी ने बहुत सोचा, किन्तु बात समझ में नहीं आई । उन्होंने सुझाव दिया- मेरा एक दामाद है जसवन्तसिंह | वह महाराज बीकानेर का दीवान है। उसकी बड़ी सूक्ष्म मेधा है । हमें विश्वास है कि वह इस सूत्र की व्याख्या कर देगा । आप उसे बुलाएं। जोधपुर नरेश ने उसे ससम्मान बुलाया | जसवंतसिंह जी ने आलेख देखा, सोचा - लिखने वाला राजा बुद्धिमान् है । क्या वह तीस किलोमीटर की एरिया को खोदने की बात लिखेगा ? कोई न कोई रहस्य है । दीवान ने राजा से पूरा महल देखने की इच्छा व्यक्त की । राजा ने आज्ञा दे दी। दीवान ने पूरे महल को देखा और फिर राज्यसभा को देखा । महाराजा के सिंहासन को दीवान ने बड़ी सूक्ष्म दृष्टि से देखा । देखते ही बांत समझ में आ गई। सिंहासन के एक ओर मकराने का संगमरमर लगा हुआ था, दूसरी ओर खाटू का पत्थर । उसने कहा-- 'महाराज ! सिंहासन को हटा कर इन पत्थरों के बीच खुदाई कराएं ।' खुदाई हुई और विशाल खजाना हाथ में आ गया । T आकर्षण है प्रेय के प्रति सूक्ष्मता में गए बिना श्रेय और प्रेय को नहीं जाना जा सकता और इसे जाने बिना धर्म की बात बिल्कुल अधूरी रह जाती है। उपनिषदों में प्रेय और हितोपदेश Jain Education International - For Private & Personal Use Only ५३ www.jainelibrary.org
SR No.003052
Book TitleJain Dharma ke Sadhna Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages248
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size10 MB
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