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७. प्रत्याख्यान प्रकरण
प्रश्न १. दस प्रत्याख्यान कौन-कौन से हैं, अर्थ सहित स्पष्ट करें? उत्तर-१. अनागत-भविष्य में आनेवाले किसी पर्व पर संकल्पित पच्चक्खाण को
उस समय बाधा पड़ती देखकर पहले कर लेना अनागतप्रत्याख्यान है। २. अतिक्रान्त-पर्युषणादि पर्व पर विशेषकारण उपस्थित होने से पूर्व संकलित पच्चक्खाण को बाद में करना अतिक्रान्त प्रत्याख्यान है। ३. कोटिसहित जहां एक प्रत्याख्यान की समाप्ति एवं दूसरे प्रत्याख्यान का प्रारंभ एक ही दिन में हो जाए, उसे कोटिसहित प्रत्याख्यान कहते हैं।
४. नियंत्रित-जिस दिन जिस प्रत्याख्यान को करना निश्चित किया है, उसे उसी दिन नियमित रूप से करना (प्राणान्तकष्ट में भी न छोड़ना) नियंत्रितप्रत्याख्यान है।
५. सागार-जिसमें कुछ आगार-अपवाद रखे जाएं, उनमें से किसी एक के उपस्थित होने पर त्यागी हुई वस्तु को निश्चित समय से पहले ही काम में ले लेना सागार-प्रत्याख्यान है। ६. अनागार-जिसमें महत्तरागार आदि आगार न हों, वह अनागारप्रत्याख्यान है।
७. परिमाणकृत-दत्ति, कवल, घर, भिक्षा या भोजन के द्रव्यों को मर्यादा करना परिमाणकृत-प्रत्याख्यान हैं।
८. निरवशेष-अशन-पान-खादिम-स्वादिम का सर्वथा त्याग करना निरवशेष प्रत्याख्यान है।
९. संकेत-अंगूठा, मुष्टि, गांठ, घर, प्रस्वेद, उच्छ्वास, स्तिबुक (जलबिन्दु) एवं दीप का आश्रय लेकर प्रत्याख्यान करना संकेतप्रत्याख्यान है।
१०. अद्धा काल का आश्रय लेकर नवकारसी-पौरुषी आदि का
प्रत्याख्यान करना अद्धाप्रत्याख्यान है।' १. (क) स्थानां. १०/१०१
२. (ख) भ. ७/२/३४
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