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दीक्षा प्रकरण
४. स्वप्ना-विशेष प्रकार का स्वप्न आने के कारण पुष्पचूलावत ली गई दीक्षा स्वप्ना है।
५. प्रतिश्रुता-शालिभद्र के बहनोई धन्नासेठवत् आवेश में आकर ली गई दीक्षा प्रतिश्रुता है।
६. स्मारणिका पूर्वभव का स्मरण करवाने से मल्लिप्रभु के पूर्वभव के मित्र प्रतिबुद्धि आदि छह राजाओं की तरह ली गई दीक्षा स्मारणिका है।
७. रोगणिका रोग उत्पन्न होने के कारण सनतकुमार चक्रवर्तिवत् ली गई रोगणिका है। ८. अनादृता-किसी के द्वारा अनादर किये जाने पर नन्दीषणवत् (वासुदेव के पूर्वभव में) ली गई दीक्षा अनाहता है। ९. देवसंज्ञप्ति-देवता के प्रतिबोध देने पर मेतार्य मुनिवत् ली गई दीक्षा देवसंज्ञप्ति है। १०. वत्सानुबन्धिका-पुत्र स्नेह के कारण वज्रस्वामी की मातावत् ली गई
दीक्षा वत्सानुबन्धिका है। प्रश्न ६. दीक्षार्थी को किस वय में दीक्षित किया जा सकता है? उत्तर-साधु-साध्वियां साधिक आठ वर्ष (गर्भ सहित नव वर्ष) के बालक
__ बालिका को दीक्षा दे सकते है एवं उनके साथ भोजन कर सकते है। प्रश्न ७. दीक्षा कितने प्रकार की है ? उत्तर-दीक्षा चार प्रकार की है।
१. इहलोक प्रतिबद्धा-जीवन का निर्वाह करने के लिए ली जाने वाली दीक्षा। २. परलोक प्रतिबद्धा-परलोक संबंधि-पौद्गलिक सुखों की प्राप्ति के लिए ली जाने वाली दीक्षा। ३. उभयलोक प्रतिबद्धा-इहलोक व परलोक दोनों प्रकार की इच्छा रखते हुए ली जाने वाली दीक्षा। ४. अप्रतिबद्धा-किसी भी प्रकार की आशा न रखकर आत्म-कल्याण के लिए ली जाने वाली दीक्षा।
१. व्यवहार, १०/३०
२. स्थानांग, ४/४/५७१
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