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________________ साधु प्रकरण ६१ प्रश्न २७४. क्या साधु भव्य होते हैं या अभव्य ? उत्तर-भव्य । प्रश्न २७५. साधु में पक्ष कितने होते हैं? उत्तर-एक-शुक्ल पक्ष । प्रश्न २७६. साधु में समुद्घात कितने पाये जाते हैं ? उत्तर-सात। प्रश्न २७७. साधु में संस्थान कितने पाये जाते हैं ? उत्तर-छह। प्रश्न २७८. साधु में संहनन कितने पाये जाते हैं? उत्तर-छह। प्रश्न २७६. नमस्कार महामंत्र में साधु का कौन सा पद है? उत्तर-पांचवां णमो लोए सव्व साहणं। प्रश्न २८०. साधु के लक्षण क्या है ? उत्तर-पांच महाव्रत, पांच समिति, तीन गुप्ति की विधिवत् आराधना करने वाला साधु कहलाता है। प्रश्न २८१. अढ़ाई द्वीप में कितने साधु-साध्वी निरंतर विहार करते हैं? उत्तर-अढ़ाई द्वीप व १५ क्षेत्रों में कम से कम दो हजार करोड़ और अधिक से अधिक नौ हजार करोड़। प्रश्न २८२. साधु कहां होते हैं? उत्तर-१५ कर्मभूमि में। प्रश्न २८३. क्या अकर्मभूमि और अन्तरद्वीप के मनुष्यों में चारित्र होता है? उत्तर-नहीं, वहां साधु या श्रावक नहीं होते। वे न ज्यादा पाप करते हैं और नहीं ज्यादा धर्म करते हैं। प्रश्न २८४. अढ़ाई द्वीप व १५ क्षेत्र कौन-कौन से हैं? उत्तर-अढ़ाई द्वीप-जम्बूद्वीप, घातकी खंड और अर्धपुष्कर द्वीप। पन्द्रह क्षेत्र-५ भरत, ५ ऐरावत और ५ महाविदेह । प्रश्न २८५. कौन सी गति से आया हुआ जीव साधु बन सकता है ? उत्तर-चारों गतियों से। प्रश्न २८६. साधु कौन बन सकता है? १. २१ द्वार १२/७ २. २१ द्वार १२/१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003051
Book TitleSadhwachar ke Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajnishkumarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size6 MB
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