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१८. शय्यातर प्रकरण
प्रश्न १. शय्यातर किसे कहते है ? क्या साधु शय्यातर के घर से आहारादि
ले सकते है ? उत्तर-जिस घर में साधु कुछ समय एवं दिन व रात के लिए भी रहता है तो वह
शय्यातर कहलाता है लेकिन जिस घर में दो रात्री या उससे अधिक प्रवास हो वहां दूसरे दिन उस घर से या उसका नमक-पानी शामिल हो उसके घर से-१. अशन २. पान ३. खादिम ४. स्वादिम ५. वस्त्र ६. पात्र ७. कम्बल ८. पादप्रोञ्छन ९. सूई १०. कैंची ११. नखच्छेदनी १२. कर्णशोधनी आदि कुछ भी नहीं ले सकते', लेकिन उसका पुत्र-पुत्री आदि पारिवारिक दीक्षा ले तो दीक्षार्थी के साथ वस्त्र-पात्र आदि लिए जा सकते हैं।२ शय्यातर का घर धारे बिना गोचरी भी नहीं जा सकते। तीन-चार व्यक्तियों का मकान हो तो उनमें से एक को शय्यातर स्थापित करके दूसरों का आहार आदि ले सकते हैं। यदि तीनों का एक साथ भोजन बनने में खर्चा सम्मिलित होने के कारण गोचरी नहीं कर
सकते है। प्रश्न २. शय्यातर की क्या-क्या वस्तुएं ले सकते है ? उत्तर-प्लॉस्टिक के बर्तन, पाट-बाजोट, खरल, हमामदस्ता, घास का बिछौना,
हाडी बर्तन, लोढ़ी, एनीमा-पिचकारी, कागज, रेत, ढगलिया, दांत कुरेदनी
आदि-आदि प्रातिहारिक वस्तु ले सकते है।' प्रश्न ३. जिस दिन विहार हो क्या उस दिन शय्यातर की गौचरी की जा
सकती है? उत्तर-हां, उस दिन गौचरी कर सकते है। क्योंकि वहां रात में रहना नहीं है।
१. नि. भा. गा. ११५१-५४ चू. २. प्रवचनसारोद्वार १२
३. नि. भा. गा. ११५१-५४ चू. ४. मर्यादावली
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