________________
१२२
साध्वाचार के सूत्र उत्तर-अकेली बहिन से साधु व अकेले भाई से साध्वी गोचरी नहीं ले सकते।'
कम-से-कम दो होने चाहिए। प्रश्न ३४. साधु-साध्वी सचित्त फल सब्जी नहीं लेते इसलिए उन्हें उबालकर
बहरा सकते हैं क्या? उत्तर-नहीं बहरा सकते क्योंकि यह भी आधाकर्मी दोष में आता है। स्वयं को
सचित्त खाने का त्याग हो और स्वयं के खाने के लिए उबालकर रखा हो
तो उसमें से बहराया जा सकता है। प्रश्न ३५. साधु-साध्वियां गोचरी पधारे उस समय बिजली, पंखा चालू
करने के बाद क्या वह व्यक्ति बहरा सकता है ? उत्तर-नहीं बहरा सकता क्योंकि यह सम्मत नहीं हैं। प्रश्न ३६. क्या साधु हरी सब्जी वाला रायता ले सकते हैं? उत्तर-यदि सब्जी उबाली हुई हो तो ले सकते हैं। प्रश्न ३७. क्या साधुओं को देने के लिए घर से लाया हुआ आहारादि साधु
_ले सकते हैं? उत्तर-तीन घर के अंतर्गत यतनापूर्वक लाई हई वसतु ले सकते हैं। तीन घर की
सीमा के बाहर से लायी हुई वस्तु नहीं ले सकते। लेने वाले साधु को प्रायश्चित्त आता है। इसी शास्त्र-वाक्य के आधार पर तीन घर से आगे
के व्यक्ति भावना भाने के लिए भी नहीं आ सकते। प्रश्न ३८. क्या साधु जैनों के घरों से ही गोचरी ले सकते हैं या दूसरे घरों से
भी? उत्तर-जैन-अजैन का कोई प्रश्न नहीं है। जहां भी शुद्ध प्रासुक आहार मिल सके
वहीं से साधु ले सकते हैं। प्रश्न ३६. क्या साधु अपने हाथ से आहार आदि ग्रहण कर सकता है ? उत्तर-औषधि और पानी के सिवा खाने-पीने की कोई भी चीजें साधु अपने हाथ
से उठाकर नहीं ले सकते। प्रश्न ४०. पीने का पानी तथा भोजन लेने के बाद उस घर में पुनः बनाया
गया पानी या खाना आदि भी ले सकते हैं? उत्तर-नहीं ले सकते। एक बार पानी-आहार ले लेने के बाद पुनः बनाया गया
(ख) पि.नि. ३/४४
१. निशीथ ८/१ २. (क) नि. ३/१५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org