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गोचरी प्रकरण
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प्रश्न ३० वर्षा, ओस या अधिक त्रस जीव बरसते समय साधु विहार एवं गोचरी क्यों नहीं कर सकते हैं?
उत्तर - क्योंकि इससे त्रस स्थावर जीवों की विराधना होने की संभावना रहती है । "
प्रश्न ३१. प्रहर किसे कहते हैं ?
उत्तर- दिन और रात का चौथाई भाग प्रहर होता है। दिन-रात के घटने बढ़ने के साथ प्रहर का समय भी घटता बढ़ता रहता है।
प्रश्न ३२. साधु-साध्वी गोचरी करने के लिए जाए और रास्ते में वर्षा आ जाए तो क्या आगे जा सकते हैं ?
उत्तर - नहीं जा सकते लेकिन रास्ते में कहीं ठहरने का स्थान न हो तो आगे जा सकते है या अपने स्थान पर वापिस आ सकते है । शास्त्रों में बारह कुल की गोरी कही है जैसे
१. उग्रकुल - आरक्षक कुल ।
२. भोगकुल- राजा के पूज्यस्थानीय कुल ।
३. राजन्यकुल- राजा के मित्र स्थानीय कुल ।
४. क्षत्रियकुल- राष्ट्रकूटादि (राठौड़ आदि) कुल ।
५. इक्ष्वाकुकुल- ऋषभ देव भगवान के वंशज ।
६. हरिवंशकुल - अरिष्टनेमि भगवान के वंशज ।
७. ग्वालादिका कुल ।
८. वैश्य (वणिक) कुल ।
६. नापित कुल ।
१०. सुथार कुल ।
११. ग्राम रक्षक कुल ।
१२. तन्तुवाय (वस्त्रादि बुनने वाले) कुल ।
इन बारह कुलों से मिलते-जुलते वे सभी कुलों में गोचरी जा सकते हैं।
प्रश्न ३३. क्या साधु अकेली स्त्री तथा साध्वी अकेले भाई से गोचरी ले
सकते हैं ?
१. दसवे. ५/१/८
२. उत्तरा २७/१२
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३. आ. श्रु. २ अ. १३.२/२३
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