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आलोचना प्रकरण
आलोचना करना ।
६. अव्यक्त-अगीतार्थ के पास दोषों की आलोचना करना ।
१०. तत्सेवी - आलोचना देने वाले जिन दोषों का सेवन करते हैं उनके पास उन दोषों की आलोचना करना । '
प्रश्न १२. आलोचना से कितने गुण निष्पन्न होते हैं ?
उत्तर- १. लघुता - मन अत्यन्त हल्का हो जाता है।
२. प्रसन्नता - मानसिक प्रसक्ति बनी रहती है ।
३. आत्मपरनियंतिता - स्व और पर नियंत्रण सहज फलित होता है ।
४. आर्जव - ऋजुता बढ़ती है ।
५. शोधि - दोषों की विशुद्धि होती है।
६. दुष्करकरण - दुष्कर कार्य करने की क्षमता बढ़ती है ।
७. आदर - आदर भाव बढ़ता है।
८. निःशल्यता-मानसिक गांढें खुल जाती हैं और नई गांठें नहीं घुलती, ग्रंथि भेद हो जाता है ।
प्रश्न १३. पारांचित प्रायश्चित्त के कितने कारण है ?
उत्तर - पांच कारण हैं
१. जिस कुल में रहता है उसी में भेद डालने का प्रयत्न करता है ।
२. जिस गण में रहता है उसी में भेद डालने का प्रयत्न करता है। 1
३. जो हिंसा प्रेक्षी होता है -कुल, गण के सदस्यों का वध चाहता है । जो छिद्रान्वेषी होता है ।
४.
५. जो बार-बार प्रश्नायतनों का प्रयोग करता है । ३
१. ठाणं १०/७० २. ठाणं ८/१०/टि. ३
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३. ठाणं ५/१/४७
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