________________ महाप्रज्ञ-दर्शन आचार्य महाप्रज्ञ से लेखक की प्रार्थना करारविन्दे विनयेन बद्धवा वन्दे त्वदीये चरणारविन्दे उत्थाप्य हस्तौ वरदौ स्वकीयौ प्रशाधि मह्यं जगदब्धिपारम्।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org