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महाप्रज्ञ-दर्शन सामाजिक व्यक्ति अपनी ऋद्धि करना चाहता है वैसे ही शुद्ध लेश्या वाला अध्यात्म का साधक अपने आभामण्डल को शक्तिशाली बनाना चाहता है।
० अयोगश्चायोगश्च
साधना का चरम शिखर है अयोग।
(यहाँ 'अयोगश्च' सूत्र की पुनरावृत्ति समाधानसूत्र ग्रन्थ की सम्पन्नता सूचित करने के लिये की गयी है।)
॥ इति विभूत्यधिकरणम् ॥
सम्पन्नञ्च समाधानसूत्रम्
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