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________________ १५० महाप्रज्ञ-दर्शन देश की कुल टैक्सियों का आधा और निजी वाहनों का पांचवां हिस्सा अकेले बंबई में है। अध्ययन दल ने कार और ट्रकों के कार्बन डाइऑक्साइड और हृदयरोग के आपसी संबंधों का बड़ी सावधानी के साथ परीक्षण किया है। इसके लिए लालबाग की भीड़ भरी सड़कों के किनारे बसे इलाकों को चुना था, क्योंकि एक तो यह मध्य क्षेत्र में है और दूसरा, उन दिनों कपड़ा मिलों की हड़ताल जारी थी, इसलिए वाहनों के ही प्रदूषण का अध्ययन करना संभव था। डाक्टरों के इस दल का सुझाव है कि शहर की सड़कों पर यातायात ठीक से चलता रहना चाहिए, ट्रैफिक-जाम कम से कम हों। घने यातायात वाले हिस्सों में फ्लाइओवर बनें। बृहत्तर बंबई की प्रस्तावित योजना में २३ नए फ्लाइओवर बनाने की बात है ही। पर कुल मिलाकर ऐसे सुझाव आधुनिक शहर को और आधुनिक ही बनाएंगे। जाहिर है इससे आधुनिकता के रोग कम नहीं होंगे। (पृष्ठ १११) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के डॉ० सी. के. वार्ष्णेय ने १९७८ में किए गए एक अध्ययन में कहा था कि देश में कोयले के जलने से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा में बढ़ोतरी हुई है। १६६४ के छह लाख से बढ़कर १६७६ में ११ लाख टन। (पृष्ठ ११३) यह धरती पर आसमान से होनी वाली जीवनदायी जल वर्षा नहीं, जानलेवा बारिश है। सारे के सारे उद्योग तेल से चलने वाले वाहन और बिजलीघर लाखों टन नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड आसमान में उगलते हैं। वे नाइट्रिक और सल्फ्युरिक एसिड में बदल जाते हैं और बारिश के पानी के साथ नीचे चले जाते हैं | यूरोप और उत्तर अमेरिका के बड़े-बड़े वन प्रदेश और झील इस घातक बारिश के मारे खत्म हो चले हैं। स्वीडन में १५,000 झीलें तेजाबी हो गई हैं। नार्वे, कनाडा और अमेरिका में भी हजारों झीलों का यही हाल है। तेजाब से मछलियां सेवार और समुद्री पर्यावरण धीरे-धीरे प्राणविहीन होते हुए अंततः मृत सागर बन जाता है। दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पर्यावरण विशेषज्ञ श्री वार्ष्णेय कहते हैं, “विकास के वर्तमान दौर में हम तेजाबी बारिश से भला कैसे बच सकते हैं?" कोयले का उत्पादन १६५० में ३.५ करोड़ टन से बढ़कर १६८० में १५ करोड़ टन हुआ। १६६६ में देश भर में १३.८ लाख टन सल्फर डाइऑक्साइड उगली गयी थी। यह १६७६ में बढ़कर ३२ लाख टन हुई यानी २१ प्रतिशत की बढ़ोतरी । यह इसी अवधि में अमेरिका में उगली गई मात्रा से लगभग दुगुनी है। (पृष्ठ ११५) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003049
Book TitleMahapragna Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayanand Bhargav
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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