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महावीर उवाच
१४५ तो कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं।
पिछले दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन ने देश के विभिन्न भागों से एकत्र अनाज, दालें, दूध, अंड़े और मांस के नमूनों का विश्लेषण किया और पाया कि ५० प्रतिशत से जयादा वस्तुओं में कीटनाशकों का असर है, इसमें ३० प्रतिशत में तो खतरनाक अनुपात में है।
(पृष्ठ १५८) विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन के अनुसार सन् ५४ में २५ ऐसे कीड़े थे जो किसी न किसी कीटनाशक दवा को पचा लेते थे। आज उनकी संख्या ४३२ हो गई है। यानी जहरीली दवाएं डाल-डाल हैं तो फसली कीड़े पात-पात । गुजरात में कपास के खेती करने वाले किसान अब पहले से मंहगे
और तेज कीटनाशकों का एक दो नहीं, बीस-तीस बार छिड़काव कर रहे हैं, इसके बावजूद कपास की पैदावार खास नहीं बढ़ी है। ___“कामधेनु” बताई जा रही परमाणु ऊर्जा १४,००० करोड़ की कीमत पर क्या देगी, यह पक्का नहीं है पर अभी तो उससे निकलने वाले भयंकर खतरनाक कचरे को ठिकाने लगाने का भी कोई प्रबंध नहीं सोचा जा सका है।
(पृष्ठ १८१)
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