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________________ १४० महाप्रज्ञ-दर्शन वणियंबाड़ी शहर। सबसे खराब हालत आंबूर की है। किसी भी कारखाने में जहरीला कचरा साफ करने के यंत्र नहीं है। आई. आई. टी. मद्रास के श्री सी. ए. शास्त्री के एक अध्ययन के अनुसार वणियंबाड़ी के इन ४१ कारखानों से रोज ११०० घन मीटर गंदा पानी निकलता है। वेल्लोर क्षेत्र की मिट्टी का परीक्षण करने वाले मुद्रा विशेषज्ञों की १६७६ की रिपोर्ट बताती है कि वणियंबाड़ी, आंबूर, वेल्लोर, आर्काट, वालाजा, रानीपेट, विशारम और तिमिर शहरों की १०,००० एकड़ जमीन गंदगी के कारण खराब हो चुकी है। ३०,००० एकड़ पर आंशिक असर हुआ है। इन इलाकों में अब प्रति एकड़ केवल २० टन के करीब गन्ना होता है जबकि पहले आमतौर पर ६० टन होता था। पेरनांबट में ३,००० एकड़ अच्छी जमीन में रागी बोया जाने लगा है। रागी गंदे पानी को सह लेगा ऐसा मानते हैं। लेकिन रागी की पैदावार भी गिर रही है। यहां का सारा गंदा पानी सीधे पालार नदी में जाता है और अब तो यह नदी दोनों किनारों पर बने कुंओं में भी रिसने लगी है। पानी के सभी मुख्य स्रोत दूषित हो गए हैं। आंबूर के ३००० नलों में आज वही गंदा पानी बहता है। (पृष्ठ ४०) बरौनी से भागलपुर तक गंगा की ११२ किलोमीटर लंबी धारा बुरी तरह प्रदूषित है। भागलपुर के ऊपरी हिस्से में बसे उर्वरक कारखाने, ताप बिजलीघर, तेल शोधक कारखाना, मैकडोवल की शराब की भट्टी और बाटा कंपनी का कारखाना अपनी जहरीली गंदगी गंगा में छोड़ते हैं। ___बाटा कंपनी का गंदा पानी जहां नदी में मिलता है वहां मछली केवल दो दिन जीती है और शराब की भट्टी वाले इलाके में केवल कुछ घंटे । मुंगेर के पास के तेल शोधक कारखाने से नदी में तेलिया अवशेष इतना ज्यादा मिलता है कि १६६८ में गंगा में तो आग ही लग गई थी। बरौनी के पास का प्रदूषित जल मछलियों को उस ऊपरी धारा में जाने से रोकने वाली दीवार बन गया है जहां वे अंडे देने जाया करती थी। भागलपुर के शहरीकरण और वहां उद्योग का भी प्रदूषण बढ़ाने में पूरा हाथ है। ___फरक्का बांध के कारण भी मछलियों का भंडार खाली हो रहा है, क्योंकि हिलसा जैसी लोकप्रिय मछलियां हिमालय की तलहटियों तक जा नहीं पाती है, जहां उनके अंडे देने के स्थान हैं। वाहिनी के कार्यकर्त्ता गंगा से ४० किलोमीटर दूर कहलगांव के पास बनने वाले ताप बिजलीघर के निर्माण के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003049
Book TitleMahapragna Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayanand Bhargav
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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