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लेश्या और मनोविज्ञान
आत्मविशुद्धि के परिप्रेक्ष्य में गुणस्थानों की क्रमिक विशुद्धता के आधार पर भी व्यक्तित्व के तीन प्रकार कहे गए हैं - 1. बहिरात्मा 2. अन्तरात्मा 3. परमात्मा। लेश्या की भूमिका पर व्यक्तित्व के अनेक भेद किए जा सकते हैं, क्योंकि हर व्यक्ति में भावों की समानता एक जैसी नहीं होती। कषाय की तीव्रता और मन्दता तथा योगों की चंचलता और स्थिरता पर व्यक्तित्व की सीमाएं बनती हैं। अत: लेश्यावान व्यक्तित्व के छह प्रकार बतलाए गए हैं । इन प्रकारों की गुणात्मक व्याख्या को निषेधात्मक और विधेयात्मक दो रूपों में समझा जा सकता है -
Positive
Result
Attitude Activators
Personality (Attitude in Action)
Confidence Anticipation Expectation Belief Humility Patience Understanding
Enthusiastic Optimist Cheerful Relaxed Courteous Considerate Friendly Courageous Decisive
Success Achievement Health Inner peace Love Recognition Friendship Adventure Growth
Negative
Result
Attitude Activators
Personality (Attitude in Action)
Sincere
Warm
Fear Hate Envy Suspicion Greed Conceit Self-pity Inferiority Criticism Cynicism Indecision
Cruel Weak Inconsiderate Rude Drab Irritable Cold Lazy Undetermined Soar Selfish
Energy Security Happiness Tension Frustration Despondency Loneliness Unhappiness Failure Boredom Poverty Fatigue Job-weariness Dissatisfaction
इस प्रकार कहा जा सकता है कि व्यक्तित्व का निर्माण भावों पर आधारित है। व्यक्ति चाहे तो श्रद्धा और पुरुषार्थ से अपने भाग्य की रेखायें बदल सकता है। लेश्या बदलाव हमारे शुभाशुभ भावों के साथ संभव है।
1. Muni Mahendra Kumar edited Science of Living (Jeevan Vigyan) p. 3, 4
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