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सामायिक के बाधक तत्त्वों से कैसे बचें ?
नहीं हो सकता । तत्त्वार्थ सूत्र का प्रसिद्ध सूत्र है-निःशल्यो व्रती । व्रती वही होता है, जो निःशल्य है । जिसका भीतरी का कैंसर समाप्त हो जाता है, वही व्रती बन सकता है, अन्यथा कैंसर के रहते कोई व्रती नहीं बन सकता । खतरनाक होता है चुगलखोर
पैशुन्य-चुगली भी दूसरों को देखने से होती है | आदमी दूसरे को देखता है, कुढ़ता है तब चुगली होती है। अपने आपको देखने वाला किसी की चुगली नहीं कर सकता । वह कभी चुगलखोर नहीं हो सकता । बड़ा खतरनाक होता है चुगलखोर । वह दो व्यक्तियों को आपस में भिड़ा देता है और स्वयं तटस्थ रहकर तमाशा देखता रहता है । वह ऐसी बात कहता है कि दोनों व्यक्तियों के मन फट जाते हैं। ___चक्रवर्ती भरत चाहते थे कि उनके अनुज बाहुबली उनका शासन स्वीकार करें । उन्होंने दूत भेजकर यह संदेश कहलाया । बड़ी अप्रिय बात थी बाहुबली के लिए | उन्होंने अग्रज भाई का अनुशासन स्वीकार नहीं किया । दूत जाने लगा । बाहुबली ने कहा- दूत ! मेरे भाई भरत को एक बात कह देना कि वे अयोध्या मे बैठे हैं और मैं तक्षशिला में बैठा हूं | बीच में बहुत दूरी है । बीच मे अनेक पहाड़ और नदियां हैं । बीच मे समुद्र भी हैं । ये सब कुछ हमारे बीच में हों, कोई कठिनाई नहीं है । किन्तु हमारे बीच में कोई चुगलखोर न आए, यह ध्यान रखना है, अन्यथा अनर्थ होते देरी नहीं लगेगी
भवतात् तटिनीश्वरोन्तरा, विषमोऽस्तु क्षितिमृच्चयोन्तरा । सरिदस्तु जलाधिकान्तरा,
पिशुनो माऽस्तु किलान्तरावयोः ॥ चुगलखोर मधुरभाषी होता है । वह बात को इस ढंग से रखता है कि सामने वाले को विश्वास होने लगता है कि इससे बड़ा हित-चिन्तक कोई नहीं है। मेरे ही हित की बात कह रहा है । वह पिशुन उस हित-चिन्ता में अहित की ऐसी मीठी गोली देता है, ऐसी सुगर कोटेड पुड़िया देता है कि जो खाने में तो मीठी होती है, पर भीतर में कड़वा जहर होता है ।
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