SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 43
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सामायिक के साधक तत्त्व कहा-ये ग्रंथियां सावध हैं, पाप की परम्परा को बढ़ाने वाली हैं | समता की साधना का अर्थ यही है कि ये ग्रंथियां कमजोर पड़ जाएं, रेशम की गांठ घुली न रहे, खुलती चली जाए। सामायिक के दो पक्ष सामायिक के दो पक्ष हैं । पहला पक्ष है-बाधक तत्त्वों का वर्जन । दूसरा पक्ष है-साधक तत्त्वों का प्रयोग । वर्तमान में कुछ ऐसा हो गया है-सामायिक करने वाला बाधक तत्त्वों के वर्जन की बात सोचता है, किंतु साधक तत्त्वों के प्रयोग की बात नहीं सोचता । व्यक्ति प्रत्याख्यान करता है- मैं अमुक अवधि तक सामायिक की साधना करूंगा और उसके बाधक तत्वों का वर्जन करूंगा। यह परम्परा चल रही है किंतु उसके साथ दूसरी बात नहीं चल रही है । बाधक तत्त्वों का वर्जन और साधक तत्त्वों का प्रयोग, दोनों बातें सामायिक में चलनी चाहिए। अकेलेपन की अनुभूति इस संदर्भ में साधक तत्त्वों का विमर्श आवश्यक है । एक साधक तत्त्व है- एकत्व अनुप्रेक्षा । समता तब आएगी, जब 'मैं अकेला हूं'-यह भावना जीवन में व्याप्त हो जाएगी । क्रोध, अहं, घृणा, ईर्ष्या-ये सारी प्रवृत्तियां क्यों होती हैं ? इसलिए होती हैं कि हम इस बात को भूल जाते हैं-मैं अकेला हूं | सामायिक का महत्त्वपूर्ण सूत्र है-मैं अकेला हूं। जब अकेला है, तब विषमता कहां से आएगी ? व्यक्ति अकेला है तो वह क्रोध किसके साथ करेगा? कलह और घृणा किसके साथ करेगा? आत्मा अकेली है, वह अकेली आती है और अकेली जाती है, यह एकत्व बोध हृदयंगम हो जाये तो समस्या की जड़ समाप्त हो जये । जब भी समस्या आएगी, व्यक्ति यह सोचेगा-मैं अकेला हूं, दूसरा कोई नहीं है, मैं किससे लड़ रहा हूं, किसके साथ राग-द्वेष कर रहा हूं ? मैं जिसके साथ लड़ रहा हूं, वह प्रतिबिम्ब है, आगन्तुक है । जब अनुप्रेक्षा का अभ्यास परिपक्व बन जाएगा, भीतर से आवाज आएगी-तुम अकेले हो । यह अकेलेपन की अनुभूति समता की साधना को पुष्ट बनाये रखती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003047
Book TitleSamayik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages198
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy