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________________ सामायिक : शांतिपूर्ण जीवन का सूत्र ने कहा-महाराज ! मेरा लड़का धर्म में रुचि नहीं लेता है । आप उसे समझाएं । एक दिन वह लड़के को लेकर मेरे पास आया । मैंने लड़के से पूछा- तुम्हारी रुचि धर्म में कम क्यों है ? लड़का बोला-इस प्रश्न का उत्तर मैं दूंगा, किन्तु पिताजी के सामने कुछ नहीं कहूंगा । पिता उठकर चला गया । वह बोलाधर्म में मेरी रुचि कम नहीं है, साधु साध्वियों के प्रति भी मेरे मन में अगाध श्रद्धा है । किन्तु एक बात से मेरे मन में बड़ा द्वन्द्व है । मेरे पिताजी दिन में तीन-चार बार साधु-साध्वियों के पास जाते हैं, दिन में अनेक बार सामायिक करते हैं, किन्तु घर में सबसे ज्यादा लड़ाई-झगड़ा भी वे ही करते हैं । मैंने विचार किया- धर्म स्थान में जाकर भी यदि इनमें कोई सुधार नहीं आया तो वहां जाने से मुझे क्या फायदा होगा? इसलिए मैं यहां बहुत कम आता जीवन में समता आए सामायिक करने वाला सामायिक का पूरा पथ्य रखता है या नहीं, यह बहुत विचारणीय बात है | समता की साधना की है तो कलह, निन्दा, चुगली, ईर्ष्या आदि कुप्रवृत्तियां अवश्य क्षीण होंगी । सामायिक पर अमल किए बिना, समता का आचरण किए बिना, सिद्धान्त कितना ही पवित्र हो, फलित नहीं होगा । उसका मूल्य दूसरों की समझ में नहीं आएगा । भगवान् महावीर ने कहा-पहली आवश्यकता है समता की साधना । इसकी साधना किए बिना कोई भी व्यक्ति आध्यात्मिकता के क्षेत्र मे प्रवेश नहीं कर सकता, आत्मा की ओर प्रस्थान नहीं कर सकता । हम इसका मूल्य आंके । यह कोई सामान्य बात नहीं है । आत्मकल्याण और परकल्याण की इससे बड़ी दूसरी कोई साधना नहीं है । जीवन में समता उतर आए तो फिर किसी बात की जरूरत नहीं रह जाती, कुछ पाना शेष नहीं रह जाता । शान्तिपूर्ण जीवन का सूत्र जीवन में बहुत सी परिस्थितियां आती हैं। कभी लाभ हो जाता है, कभी हानि । सुख-दुःख, जीवन-मरण-इस प्रकार की हजारों स्थितियां आती हैं, जाती हैं, कभी-कभी एक दिन में ही न जाने कितनी स्थितियां आ जाती Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003047
Book TitleSamayik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages198
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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