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अध्यात्म का प्रथम सोपान : सामायिक
के समय शान्ति मिलनी चाहिए। उसका प्रभाव सारे दिन रहना चाहिए । हमने धर्म को काल-प्रतिबद्ध और क्षेत्र प्रतिबद्ध बना दिया । साधुओं के स्थान पर गए तो उसे धर्म का क्षेत्र मान लिया । घर में आए उस समय वह गृहस्थ का खाता है । क्या यह खाता लड़ने के लिए है ? तब फिर एक मुहूर्त तक सामायिक की मेहनत ही क्यों की? दिन में एक बार खाने पर क्या उसका . प्रभाव पांच-छह घण्टे तक नहीं रहता ? सामायिक का प्रभाव भी तो कुछ देर रहना चाहिए । सामायिक एक मुहूर्त तक करते हैं, यह अभ्यास का समय है । वास्तव में यह जीवन जीने की कला है और उपयोगी है । सामायिक के वास्तविक मूल्य को समझकर उसे जीवन-व्यवहार में उतारना हमारा परम कर्तव्य है।
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