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________________ १४६ अध्यात्म का प्रथम सोपान : सामायिक उसका एक सूत्र है-जैन श्रावक शस्त्रों का निर्माण नहीं करेगा, शस्त्रों के पुर्जों का संयोजन भी नहीं करेगा। अनेक लोग शस्त्रों के निर्माण में लगे हुए हैं। वे पुर्जे मंगाते हैं और शस्त्र तैयार कर लेते हैं । प्रत्येक क्षेत्र में शस्त्रों का अंबार लग रहा है । निःशस्त्रीकरण का स्वर शस्त्रीकरण की परिणति के कारण शक्तिशाली होता जा रहा है। अगर अणुशस्त्रों के भंडार पर ध्यान नहीं दिया गया तो शायद एक समय ऐसा आएगा, सारी की सारी मानव सभ्यता नष्ट हो जाएगी । सम्भावना की जा रही है - दुनिया वापस प्रस्तर युग में चली जाए । महाभारत के युद्ध के बाद हिन्दुस्तान की सभ्यता, संस्कृति और विद्या का जैसा ह्रास हुआ है, उससे यह सम्भावना बलवती बनी है। अणु-शस्त्रों के युद्ध के बाद शायद मनुष्य यह प्रार्थना करेगा - हे भगवान् ! हमें वही बना दो, जो हम पहले थे । यांत्रिकरण का परिणाम आज विज्ञान बढ़ते-बढ़ते रोबोट तक पहुंच गया है। जिस कृत्रिम मानव का निर्माण किया गया है, वह रोबोट - लोहमानव खतरनाक बन रहा है । निर्माता सोच रहे हैं कि उसे नियंत्रित कैसे किया जाए । अमेरिका, जापान आदि ने जो रोबोट बनाए हैं, वे मनुष्य के लिए विनाश का कारण बन रहे हैं। अगर यह शस्त्रीकरण और यांत्रिकीकरण का दौर ऐसे ही चलता रहा तो हमें प्रभु से प्रार्थना करनी पड़ेगी - हे भगवान् ! हमें तो वापस प्रस्तर युग में ही ले चलो । हम भगवान् महावीर को पढ़ें, आचारांग के शस्त्रपरिज्ञा अध्ययन को पढ़ें। हमें पता चलेगा, इस सचाई को महावीर ने पकड़ा था। भगवान महावीर ने कहा-शस्त्रीकरण मनुष्य जाति के लिए संहार का कारण बन सकता है। इसलिए हम प्रारम्भ से ही निःशस्त्रीकरण का मूल्य आंकें, उसे समझें और जीवन में अधिक से अधिक निःशस्त्रीकरण का प्रयोग करें। निःशस्त्र के प्रयोग का अर्थ संयम करने से जुड़ा हुआ है। निःशस्त्रीकरण मानव जाति के लिए कल्याण का हेतु है, विकास का हेतु है, निःशस्त्रीकरण के द्वारा ही मानव जाति सुख और शांति से रह सकती है। इस सचाई को और सामायिक संयम के विकास से ही समझा जा सकता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003047
Book TitleSamayik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages198
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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