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________________ मानसिक शक्ति और सामायिक हमारा जीवन दो विपरीत दिशाओं में चल रहा है । एक है शक्ति की दिशा और दूसरी है शक्ति - शून्यता की दिशा । जब शक्ति जागृत नहीं होती है तब अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और जब शक्ति जाग जाती है तब भी अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । शक्ति शून्यता की अवस्था में आने वाली कठिनाइयां एक प्रकार की होती हैं और शक्तिजागरण की अवस्था में आने वाली कठिनाइयां दूसरे प्रकार की होती हैं । शक्ति का न होना भी एक समस्या है और शक्ति का अधिक होना भी एक समस्या है । इन दोनों समस्याओं से हमें निपटना है । शक्ति जागरण और द्वंद्व चेतना शक्ति जागरण के बाद यदि द्वन्द्वातीत चेतना नहीं होती है, सारी चेतना द्वन्द्व में बद्ध होती है, उस स्थिति में भयंकर समस्याओं का सामना करना पड़ता है । शक्ति जागने के बाद उसे झेलने के लिए द्वन्द्वों से अतीत चेतना 1 आवश्यक होती है । उसके बिना जागी हुई शक्ति से अनर्थ घटित हो सकता है । भूतों को वश में करने वाले जानते हैं कि जब भूत जागते हैं तब बलि की मांग करते हैं । उस समय भूत-साधक घबड़ा जाता है, यदि वह स्थिति को नहीं संभाल पाता है तो जागा हुआ भूत उसे ही लील जाता है । यदि वह साधक भूत की मांग पूरी कर देता है तो वह भूत उसके वश में हो जाता है । यही बात शक्ति जागरण में घटित होती है । शक्ति जागरण हो जाने पर जो साधक जागृत शक्ति की मांगें पूरी कर देता है तो वह शक्ति उसके लिए बहुत उपयोगी हो जाती है । यदि वह उसकी मांगें पूरी नहीं कर पाता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003047
Book TitleSamayik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages198
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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