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मानसिक स्वास्थ्य और सामायिक
क्या हम स्वस्थ हैं ? -यह प्रश्न हम किसी दूसरे से न पूछे, अपने-आप से पूछे । इस प्रश्न का उत्तर किसी दूसरे से पाने का प्रयत्न न करें किन्तु अपने आप से ही इसका उत्तर पाने का प्रयल करें । यदि हमारे जीवन में समता है तो समझना चाहिए कि हम शरीर से भी स्वस्थ हैं और मन से भी स्वस्थ हैं | यदि समता नहीं हैं तो हम शरीर से भी स्वस्थ नहीं हैं और मन से भी स्वस्थ नहीं हैं । हम स्वास्थ्य को दो भागों में बांटते हैं । एक है शारीरिक स्वास्र्थ्य
और दूसरा है मानसिक स्वास्थ्य । यदि हम गहरे में उतरकर देखें तो यह विभाजन जरूरी नहीं लगता । मन स्वस्थ है तो समझ लेना चाहिए कि शरीर स्वस्थ है । शरीर स्वस्थ है तो समझ लेना चाहिए कि मन स्वस्थ है । शरीर
और मन-दोनों जुड़े हुए हैं । मन शरीर को प्रभावित करता है और शरीर मन को प्रभावित करता है किन्तु मन का प्रभाव शरीर पर गहरा होता है | यदि मन स्वस्थ है तो शरीर स्वस्थ होगा ही। मन का स्वास्थ्य समता से संबंधित है । यदि मन में समता है तो मानसिक स्वास्थ्य होगा और यदि समता नहीं है तो मन कभी स्वस्थ नहीं हो सकता | सामायिक अथवा समता की साधना के जो सूत्र हैं, वे ही मानसिक स्वास्थ्य की साधना के सूत्र हैं | अपने आपको जानें
मानसिक स्वास्थ्य की साधना का पहला सूत्र है-अपने आपको जानो । जो व्यक्ति अपने-आपको नहीं जानता, वह मनसा स्वस्थ नहीं होता । मानसिक स्वास्थ्य के लिए अपने-आपको जानना बहुत जरूरी है । जो अपनी क्षमता को नहीं जानता, अपनी अक्षमता को नहीं जानता, वह व्यक्ति मन से स्वस्थ
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