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३०/ श्रमण महावीर
अब हम अन्तर्-जगत् के प्रथम द्वार में प्रवेश कर रहे हैं । यहां विचार ही विचार हैं। अभी हम प्रवेश कर ही रहे हैं, इसलिए हमें इनकी भीड़ का सामना करना होगा।
जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, इनकी भीड़ कम होती चली जायेगी। दूसरे द्वार के निकट पहुंचते-पहुंचते वह समाप्त हो जाएगी।
__ अब हम दूसरे द्वार में प्रवेश कर रहे हैं। यहां हमें सपनों की संकरी गलियों में से गुजरना होगा। आगे चलकर हम एक राजपथ पर पहुंच जाएंगे।
___ अब हम तीसरे द्वार में प्रवेश कर रहे हैं। ओह! कितनी भयानक घाटियां ! कितने बीहड़ जंगल! ये सामने खड़े है भूत और प्रेत। ये जंगली जानवर मारने को आ रहे हैं। ये अजगर, ये विषधर और ये बिच्छू! कितना घोर अन्धकार! हृदय को चीरने वाला अट्टहास! भयंकर चीत्कारें! कितना डरावना है यह लोक! कितनी खतरनाक है यह मंजिल!
सामने जो दीख रहा है, वह चौथा प्रवेश-द्वार है। वहां प्रकाश ही प्रकाश है, सब कुछ दिव्य ही दिव्य है। उसमें प्रवेश पाने वाला उस मंजिल पर पहुंच जाता है, जहां पहुंचने पर अन्यत्र कहीं पहुंचना शेष नहीं रहता। किन्तु इन खतरनाक घाटियों को पार किए बिना इन भूत-प्रेतों और जंगली जानवरों का सामना किए बिना कोई भी नहीं पहुंच " पाता।
ये द्वार और कुछ नहीं है। हमारे मन की चंचलता ही द्वार है। उनका खुलना और कुछ नहीं है, हमारे मन की एकाग्रता ही उनका खुलना है। ये विचार और स्वप्न और कुछ नहीं हैं। हमारे संस्कारों को बाहर फेंकना ही विचार और स्वप्न हैं। ये भूत-प्रेत और जंगली जानवर और कुछ नहीं हैं। हमारे चिरकाल से अर्जित, छिपे हुए संस्कार का उन्मूलन ही भूत-प्रेत और जंगली जानवर हैं।
___ भगवान् महावीर के पार्श्व में होने वाले अट्टहास, हाथी और विषधर उन्हीं के द्वारा प्रताड़ित संस्कारों के प्रतिबिम्ब हैं। वे उन खतरनाक घाटियों को एक-एक कर पार कर रहे हैं। आत्म-दर्शन या सत्य का साक्षात्कार करने से पूर्व प्रत्येक साधक को ये घाटियां पार करनी होती हैं।
भगवान् बुद्ध ने भी इन घाटियों को पार किया था। वे वैशाखी पूर्णिमा को ध्यान कर रहे थे। उन्हें कुछ अशांति का अनुभव हुआ। उस समय उन्होंने संकल्प किया - 'मैं आज बोधि प्राप्त किए बिना इस आसन से नहीं उलूंगा।' जैसे-जैसे उनकी एकाग्रता आगे बढ़ी, वैसे-वैसे उनके सामने भयानक आकृतियां उभरने लगीं- जंगली जानवर, अजगर और राक्षस । इन आकृतियों ने बुद्ध को काफी कष्ट दिया । उनकी धृति अविचल रही, मन शांत हुआ। उन्हें बोधि प्राप्त हो गई।
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