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अहिंसा के हिमालय पर हिंसा का वज्रपात / २५३
बिजौरापाक मुनि को दिया। वह उसे ले भगवान् के पास गया। भगवान् ने उसे खाया। रोग थोड़े समय में शान्त हो गया। भगवान् पूर्ण स्वस्थ हो गए। भगवान् के स्वास्थ्य का संवाद पाकर श्रमण तुष्ट हुए, श्रमणियां तुष्ट हुई, श्रावक तुष्ट हुए, श्राविकाएं तुष्ट हुई और क्या समूचा लोक तुष्ट हो गया।
१. देखें- भगवती शतक पन्द्रहवां ।
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