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यथार्थवादी व्यक्तित्व : अतिशयोक्ति का परिधान
महान् व्यक्तित्व के जीवन पर जैसे-तैसे अतीत आवरण डालता जाता है, वैसे-वैसे उनके भक्त भी उनके साथ दैवी घटनाओं को जोड़ते जाते हैं। इस सत्य का अपवाद संभवत: कोई भी महान् व्यक्ति नहीं है ।
भगवान् महावीर उत्कट यथार्थवादी थे। आचार्य समन्तभद्र ने भगवान् महावीर को यथार्थ की आंख से देखा तो वे कह उठे - 'भगवन्! देवताओं का आगमन, विमानों का आगमन, चंवर डुलाना - ये विभूतियां इन्द्रजालिकों में भी देखी जाती हैं। इन विभूतियों के कारण आप महान् नहीं हैं। आप महान् हैं, अपने यथार्थवादी दृष्टिकोण के कारण।'
आचार्य हेमचन्द्र ने एक धार्मिक कोलाहल सुना। कुछ लोग कह रहे हैं कि भगवान् महावीर के पास देवताओं का इन्द्र आता था और उनके चरणों में लुठता था । कुछ लोग कह रहे हैं कि महावीर के पास इन्द्र नहीं आता था। कुछ लोग कह रहे हैं इसमें महावीर की क्या विशेषता है । इन्द्र हमारे धर्माचार्य के पास भी आता था। इस कोलाहल को सुन आचार्य बोल उठे - ' भगवन्! आपके पास इन्द्र के आने का कोई निरसन कर सकता है, कोई तुलना कर सकता है, पर वे आपके यथार्थवाद का निरसन और तुलना कैसे करेंगे?"
पौराणिक युग चमत्कारों, अतिशयोक्तियों और देवी घटनाओं के उल्लेख का युग था। उस युग के कुहासे में यथार्थवाद की आत्मा धुंधली सी हो गई। पुराणकारों ने वासुदेव कृष्ण के जीवन में दैवी चमत्कारों के असंख्य इन्द्रधनुष तान दिए। गीता का यथार्थवादी कृष्ण पुराण की गंगा में नहाकर चमत्कारों का केन्द्र बन गया। जनता चमत्कारों को नमस्कार करती है । दैवी घटनाओं के वर्णन का लाभ वैष्णव सम्प्रदायों को बहुत मिला। वे जनसाधारण को अपनी ओर खींचने में बहुत सफल रहे । बौद्ध जगत् ने भी पौराणिक पद्धति का अनुसरण किया। भगवान् बुद्ध का यथार्थवादी जीवन चमत्कारों की परछाइयों से ढंक गया। जैन आचार्य कुछ समय तक यथार्थवादी धारा को चलाते रहे। पर लोक-संग्रह का भाव यथार्थवादी को कब तक टिकने देता? जैन लेखक भी पौराणिक प्रवाह में बह गए। महावीर की यथार्थवादी प्रतिमा चमत्कार की पुष्पमालाओं से लद गई । अब प्रस्तुत हैं कुछ निदर्शन -
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१. भगवान् महावीर का जन्म होते ही इन्द्र का आसन प्रकंपित हुआ। उसने अपने ज्ञान से जान लिया कि भगवान् महावीर का जन्म हुआ है। वह बहुत प्रसन्न हुआ और अपने देव-देवियों के परिवार को लेकर भगवान् के जन्मस्थान पर पहुंचा। वह भगवान् की माता को प्रणाम कर भगवान् को मेरु पर्वत के शिखर पर ले गया। जन्माभिषेक के
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