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२/ श्रमण महावीर
एक वृषभ- श्वेत कमल की पंखुड़ियों जैसा श्वेत और विराट् स्कंध। एक सिंह - तप्त स्वर्ण और विद्युत् जैसी चमकदार आंखें और सौम्य आकृति। लक्ष्मी- कमलासन पर आसीन। दिग्गजों की विशाल-पीवर सूंड से अभिषिक्त।
एक पुष्पमाला – मंदार के ताजा फूलों से गुंथी हुई। सर्व ऋतुओं में विकस्वर। श्वेत पुष्पों के मध्य यत्र-तत्र बहुरंगी पुष्पों से गुंफित।
चाँद - गोक्षीर, फेन और रजतकलश जैसा शुभ्र । समुद्र की वेला का संवर्धक, स्वच्छ दर्पण तुल्य चमकदार, हृदयहारी, मनोहारी, सौम्य और रमणीय।
सूर्य - अंधकार को विनष्ट करने वाला, तेजपुंज से प्रज्ज्वलित। रक्तअशोक, किंशुक, शुकमुख और गुंजार्ध जैसा रक्त।
एक ध्वजा - कनकयष्टि पर प्रतिष्ठित। ऊर्श्वभाग में सिंह से अंकित। मंद-मंद पवन से लहराती हुई।
एक कलश- कमलावलि से परिवेष्टित और जल से परिपूर्ण ।
मीन युगल - पारदर्शी शरीर, मन को लुभाने वाली मृदुता और चपलता का मूर्तरूप।
एक पदम सरोवर - सूर्यविकासी, चन्द्रविकासी और जात्य कमलों से परिपूर्ण। सूर्य-रश्मियों से प्रबुद्ध कमलों की सुरभि से सुगंधित।
एक सिंहासन - पराक्रम के प्रतिनिधि वनराज के मुख से मंडित, रत्नमणि जटित और विशाल।
क्षीर सागर – नाचती हुई लहरियों से क्षुब्ध। पवन-प्रंकपित तरंगों से तरंगित। विशाल और गम्भीर।
एक देव विमान - नवोदित सूर्य बिम्ब जैसा प्रभास्वर। अगर और लोबान की गंध से सुगंधित।
एक नाग विमान - ऐश्वर्य का प्रतीक, कमनीय और रमणीय। एक रत्नपुंज - दिगन्त को छूती हुई रश्मियों से आकीर्ण, उन्नत और रमणीय।
एक अग्निपुंज - गगनस्पर्शी शिखा और ज्वाला से संकुल, निधूम और घृत से अभिषिक्त। १. इस स्वप्न-शृंखला में स्वप्न-दर्शन की दो परम्पराओं द्वारा सम्मत स्वप्न शृंखलित हैं : . दिगम्बर परम्परा
श्वेताम्बर परम्परा १. गज २. वृषभ ३. सिंह
४. श्री अभिषेक ५.माल्यद्विक
५.दाम (माला)
२.वृषभ ३. सिंह
४.लक्ष्मी
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