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९८/ श्रमण महावीर
होगा? स्त्री और शूद्र को हीन मानने का आधार क्या होगा?
देवता और पशु- दोनों एक ही आत्मा की ज्योति से द्योतित हैं, फिर देवता के लिए पशु-बलि देने का औचित्य कैसे स्थापित किया जा सकता हैं?
इस त्रिपदी ने गणधरों के अन्त:चक्षु खोल दिए। उनके चिरकालीन संस्कार भगवान् की ज्ञान-गंगा के प्रवाह में धुल गए।
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